गुड़िया

0 0
Read Time2 Minute, 49 Second
veena
मेरे घर दूसरी पोती होने पर तमाम रिश्तेदार इकट्ठे हुए। तरह-तरह से बधाई देने लगे,जिसमें मुझे बधाई से ज्यादा सांत्वना का पुट लग रहा था। कुछ ने कहा-घर में लक्ष्मी आई है,कुछ ने कहा-बड़ी बहन की सहेली आई है,कुछ न कुछ कह-कहकर वे अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे। मेरी जेठानी जिन्हें लड़कों का भारी चाव था,वह भी आई। उनका चेहरा उतरा हुआ और पेट में होल मचा हुआ था। इस बार उन्हें पूरी उम्मीद थी कि,मेरी बहू को लड़का ही होगा,परंतु उनकी तमन्ना पूरी न होने पर उन्हें अजीब-सी खीज हो रही थी। उनकी भी दो बहूँएं थी- एक को दो लड़कियां और एक को एक लड़का और लड़की थी,फिर मेरे यहां होने वाली इस पांचवी बच्ची ने तो उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मैंने उनकी परेशानी देखकर उनसे कहा-दीदी,आप यहां थोड़ा आराम कर लो। वह कमरे में जाकर पलंग पर लेट गई,जहाँ परिवार की छोटी बच्चियां गुड़िया से खेल रही थी। पता नहीं,उन्हें अचानक क्या हुआ कि,उन्होंने उनसे गुड़िया छीनी और फेंक दी। डपटकर बोली-गुड़िया,गुड़िया, गुड़िया…कितनी गुड़िया से खेलोगी…कभी गुड्डे से भी खेला करो..घर भर दिया है लड़कियों ने….।

                                                                              #वीना सक्सेना

परिचय : इंदौर से मध्यप्रदेश तक में  समाजसेवी के तौर पर श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान है। अन्य प्रान्तों में भी आप 20 से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं।  आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही  विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट चैम्पियन भी रही हैं। कायस्थ गौरव और कायस्थ प्रतिभा से अंलकृत वीना  सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

चन्दा मामा

Fri Oct 6 , 2017
मैंने चन्द्रमा से किया प्रश्न तुम्हें लोग ‘मामा’ कहकर क्यों होते हैं प्रसन्न? चन्दा ने कहा- सुनो मेरे यार, मैं अपनी भानजी व भानजों कॊ देता रहता हूँ माँ जैसा प्यार। खिलौना बनकर करता हूँ उनकी मनुहार चाँदी के कटोरे में देता हूँ दूध-भात का उपहार मुझसे ही होती है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।