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मेरे घर दूसरी पोती होने पर तमाम रिश्तेदार इकट्ठे हुए। तरह-तरह से बधाई देने लगे,जिसमें मुझे बधाई से ज्यादा सांत्वना का पुट लग रहा था। कुछ ने कहा-घर में लक्ष्मी आई है,कुछ ने कहा-बड़ी बहन की सहेली आई है,कुछ न कुछ कह-कहकर वे अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे। मेरी जेठानी जिन्हें लड़कों का भारी चाव था,वह भी आई। उनका चेहरा उतरा हुआ और पेट में होल मचा हुआ था। इस बार उन्हें पूरी उम्मीद थी कि,मेरी बहू को लड़का ही होगा,परंतु उनकी तमन्ना पूरी न होने पर उन्हें अजीब-सी खीज हो रही थी। उनकी भी दो बहूँएं थी- एक को दो लड़कियां और एक को एक लड़का और लड़की थी,फिर मेरे यहां होने वाली इस पांचवी बच्ची ने तो उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मैंने उनकी परेशानी देखकर उनसे कहा-दीदी,आप यहां थोड़ा आराम कर लो। वह कमरे में जाकर पलंग पर लेट गई,जहाँ परिवार की छोटी बच्चियां गुड़िया से खेल रही थी। पता नहीं,उन्हें अचानक क्या हुआ कि,उन्होंने उनसे गुड़िया छीनी और फेंक दी। डपटकर बोली-गुड़िया,गुड़िया, गुड़िया…कितनी गुड़िया से खेलोगी…कभी गुड्डे से भी खेला करो..घर भर दिया है लड़कियों ने….।
#वीना सक्सेना
परिचय : इंदौर से मध्यप्रदेश तक में समाजसेवी के तौर पर श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान है। अन्य प्रान्तों में भी आप 20 से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट चैम्पियन भी रही हैं। कायस्थ गौरव और कायस्थ प्रतिभा से अंलकृत वीना सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं।
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Fri Oct 6 , 2017
मैंने चन्द्रमा से किया प्रश्न तुम्हें लोग ‘मामा’ कहकर क्यों होते हैं प्रसन्न? चन्दा ने कहा- सुनो मेरे यार, मैं अपनी भानजी व भानजों कॊ देता रहता हूँ माँ जैसा प्यार। खिलौना बनकर करता हूँ उनकी मनुहार चाँदी के कटोरे में देता हूँ दूध-भात का उपहार मुझसे ही होती है […]