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मैंने चन्द्रमा से किया प्रश्न
तुम्हें लोग ‘मामा’ कहकर
क्यों होते हैं प्रसन्न?
चन्दा ने कहा-
सुनो मेरे यार,
मैं अपनी भानजी व भानजों कॊ
देता रहता हूँ माँ जैसा प्यार।
खिलौना बनकर करता हूँ
उनकी मनुहार
चाँदी के कटोरे में देता हूँ
दूध-भात का उपहार
मुझसे ही होती है दूर
उनकी रोज-रोज की त्रियामा,
इसीलिए कहते हैं लोग मामा।
एक ही सागर से हुई है,
मेरी और लक्ष्मी की उत्पत्ति
राहु और केतु देते रहते
हैं मुझे विपत्ति,
मेरी बहन के पास हैै
अतुलनीय सम्पत्ति
लक्ष्मी के बेटे का हूँ मामा,
धनहीन जन सभी का मामा।
मेरी ही गोद में बीतती
है उनकी यामा,
धनहीन जन सभी का मामा,
व साला होता हैै
सभी के अधरों तक पहुँचने
वाला मिट्टी का प्याला होता हैै,
इसलिए कहते हैं लोग मामा॥
#डॉ.बैजनाथ पाण्डेय
परिचय:डॉ.बैजनाथ पाण्डेय की जन्म तिथि-१८ मार्च १९४३ तथा जन्मस्थान- लोलपुर मथेला (चन्दौली,उत्तर प्रदेश) है। आपका निवास उत्तर प्रदेश का मिर्ज़ापुर शहर है। शिक्षा एम.ए. और पीएचडी है। यही शहर आपका कार्यक्षेत्र तथा सामाजिक क्षेत्र भी है। आप गद्य व पद्य दोनों में ही लिखते हैं। काव्य संग्रह और उपन्यास का प्रकाशन हो चुका है। आपके लेखन का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।
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