टेक्निकल लोचा!!

0 0
Read Time6 Minute, 50 Second

manoj jony

हमारे देश में तरह-तरह के लोचे होते रहते हैं। कभी केमिकल लोचा हो जाता है,तो कभी टेक्निकल लोचा।राजनीतिक और धार्मिक लोचे तो आए दिन होते ही रहते हैं। वैसे लोचा करने को `लुच्चई` कहते हैं कि नहीं,ये नहीं पता,लेकिन इतना जरूर पता है कि,लोचा और लुच्चई एक दूसरे के सगेसम्बन्धी जरूर हैं,और दोनों हमारे देश में बहुतायत में पाए जाते हैं। राजनीतिक और धार्मिक लोचे,लोगों के दिमाग में ही केमिकल लोचा पैदा कर देते हैं,और फिर लोग,लुच्चई पर उतर आते हैं।  इधर हमारे देश की `जीडीपी` गिर गई। हार्वर्ड वालों को लगा कि,यह राजनीतिक और अर्थशास्त्रीय कारण से गिरा है। तभी कड़े परिश्रम वाले मुनिश्रेष्ठ अवतरित हुए और उवाचे कि-जीडीपी सरकार की नीतियों के कारण नहीं, टेक्निकल कारण से गिरी है। वैसे हमारे  देश में बहुत- सी चीजें गिरने में अव्वल हैं। रुपए की कीमत बहुत दिनों से गिरी हुई है। बहुमत में होते हुए भी,सरकारें सिर्फ टेक्निकल लोचे की वजह से गिर जाती हैं,और टेक्निकल लोचे की वजह से ही, एक दिन में ही दूसरी बहुमत की सरकारें बन भी जाती हैं।

इस असार संसार में अगर कुछ भी सत्य है,तो वो है टेक्निकल लोचा। सर्व-व्यापी,सर्व-शक्तिमान। आइए,आपकेज्ञान चक्षु खोलते हैं। आजकल अस्पतालों में जो बच्चे मर रहे हैं,उसका कारण सिर्फ और सिर्फ टेक्निकल लोचा है। विज्ञान में `आक्सीजन` नाम की एक गैस होती है,जिसे गाय नामक प्राणी छोड़ती थी,ऐसा हमारे स्वयं-भू वैज्ञानिक उवाचते थे,लेकिन कुछ देशद्रोही मैकाले शिक्षित अपने को चिकित्सक बोलने वाले नामुराद लोग,इस आक्सीजन को फैक्टरी में बनाने लगे टेक्नोलोजी द्वारा। इस तरह आक्सीजन न मिलना,पूरा टेक्निकल कारण हो गया,जिसके कारण लोग अस्पतालों में मर रहे हैं। अगर गायों से सीधे आक्सीजन दी जाती तो कोई नहीं मरता।

लोग ट्रेन दुर्घटनाओं में मर रहे हैं,तो इसका भी कारण सिर्फ टेक्निकल है। आपको तो पता ही है कि,रेल की टूटी पटरियों पर ट्रेन चलाना टेक्निकल गलती होती है,और इसलिए ट्रेन दुर्घटनाओं में लोगों का मरना,पूरी तरह टेक्निकल कारण की वजह से होता है। इसमें सरकार या रेलवे विभाग की कोई गलती नहीं होती। अब यह मत पूछना कि पटरियाँ टूटने का क्या कारण है?

अब लोग गाय के नाम पर सरेराह,या भीड़ भरी ट्रेन में किसी को भले मार दें,लेकिन मौत तो सिर्फ टेक्निकल रीज़न से ही होती है। पीड़ित का हृदय धड़कना बंद कर देना,गुर्दे,लीवर,मस्तिष्क आदि काम करना बंद कर देते हैं,और इस टेक्निकल रीज़न से पीड़ित मर जाता है। विश्वास न हो तो देख लीजिए, पहलू-खान के सभी आरोपियों को सीआईडी ने दे दी। अब तो मानेंगे न,कि कत्ल भी सिर्फ टेक्निकल लोचे होते हैं,कोई भी इसका दोषी नहीं होता। इसलिए सामूहिक हत्याओं और दंगे में मरने वालों का कभी कोई कातिल नहीं निकलता।

देश में महंगाई का बढ़ना भी सिर्फ टेक्निकल कारण से होता है,क्योंकि प्राइस इंडेक्स के कैलकुलेशन में टेक्नीक होती है,इसलिए महँगाई बढ़ना एक टेक्निकल लोचा है। पेट्रोल की कीमत बढ़ाने में सरकार के टैक्स वसूलने की टेक्नीक होती है,इसलिए ये पेट्रोल का दाम बढ़ना भी पूरी तरह टेक्निकल लोचा है।

इस चराचर संसार में जो भी जीव-निर्जीव के साथ होता है,घटता है,सब कुछ-न-कुछ टेक्निकल कारण से ही होता है। महंगाई बढ़ना,ट्रेन दुर्घटना में मौत,अस्पताल में मौतें, दंगों में मौतें,सब टेक्निकल लोचे की वजहों से ही होती हैं। जीडीपी गिरने में भी टेक्निकल लोचा हो सकता है, लेकिन सिर्फ ईवीएम में टेक्निकल लोचा नहीं हो सकता, मुनिवर उवाच! शायद जनता के दिमाग में ही केमिकल लोचा हो गया है।

 #मनोज जानी

परिचय:मनोज कुमार का साहित्यिक उपनाम-`मनोज जानी` हैl आपकी जन्मतिथि-७ जुलाई १९७६ और जन्म स्थान-जौनपुर(उत्तर प्र देश)हैl वर्त मान में आप फ़रीदाबाद (हरियाणा) स्थित एनएचपीसी कालोनी के सेक्टर ४१ में रहते हैंl आपने इलाहाबाद से अभियांत्रिकी (विद्युत) में स्नातक किया है तो वाराणसी से एम.टेक. सहित एमबीए भी हैंl आपका कार्यक्षेत्र भूटान के ट्रोड्रग्सा (एनएचपीसी इकाई) में प्रबंधक का है। लेखन की विधा-व्यंग्य,ग़ज़ल तथा कविता हैl प्रकाशन में आपके खाते में `चिकोटी`,`ठिठोली (व्यंग्य संग्रह )` सहित `आईने के सामने(काव्य संग्रह)` हैl उपलब्धि यह है कि,कई प्रसिद्ध पत्र-पत्रि काओं में १९९८ से सतत व्यंग्य रचनाएं छप रही हैं। सम्मान देखें तो आपको `चिकोटी` के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से वर्ष -२०१४ का `शरद जोशी सम्मान` मिला हैl आप लेखन में ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं,और लेखन का उद्देश्य-सामाजिक और राजनीतिक जागरुकता पैदा करना है। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

`बुद्धिमान व्यक्ति जीवनभर अध्ययन करता है`

Mon Oct 2 , 2017
ऊपर दिया गया कथन प्राचीन ऋषियों की प्रसिद्ध उक्ति है,जो उनकी जीवन-दृष्टि का परिचायक है। मनुष्य और पशु में सबसे बड़ा अंतर उनके सीखने की क्षमता का है। कितना ही प्रयास क्यों न करें,पशुओं को हम एक सीमा से आगे नहीं सिखा सकते,पर मनुष्य के सीखने की क्षमता असीम है। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।