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शब्द-शब्द ब्रह्म है,
हर अक्षर अखंड है।
वाणी की सुचिता,
तेजस्विता प्रचंड है॥
ओज में,मौज में,
ज्ञान की खोज में।
प्रेम में पुकारती,
भारती की आरती।
वर्णों का थाल ले,
मात्राएँ उतारती॥
छंद में,बंध में,
जिंदगी का गान है।
हिंद की पहचान है,
हिंद का सम्मान है॥
तुलसी, मीरा,
सूर,कबीरा।
सदा वंदन करते हैं,
मां हिंदी हम तेरा,
अभिनंदन करते हैं॥
#अजीतसिंह चारण
परिचय:- अजीतसिंह चारण का रिश्ता परम्पराओं के धनी राज्य राजस्थान से है। आपकी जन्मतिथि-४ अप्रैल १९८७ और शहर-रतनगढ़(राजस्थान)है। बीए,एमए के साथ `नेट` उत्तीर्ण होकर आपका कार्यक्षेत्र-व्याख्याता है। सामाजिक क्षेत्र में आप साहित्य लेखन एवं शिक्षा से जुड़े हुए हैं। हास्य व्यंग्य,गीत,कविता व अन्य विषयों पर आलेख भी लिखते हैं। आपकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं तो राजस्थानी गीत संग्रह में भी गीत प्रकाशित हुआ है। लेखन की वजह से आपको रामदत सांकृत्य साहित्य सम्मान सहित वाद-विवाद व निबंध प्रतियोगिताओं में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार मिले हैं। लेखन का उद्देश्य-केवल आनंद की प्रप्ति है।
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Mon Sep 18 , 2017
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