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चले आओ सभी मिलकर,
बनाएं नाव कागज की ।
हुई बरसात है कितनी
गली में भर गया पानी ।
सुनो राजू, सुनो मन्नू,
सुनो तो राधिका,रानी ।।
इसी पानी में तैराएं,
हमारी नाव कागज की ।
रखी है मेज पर कॉपी,
चलो पन्ने निकालें हम ।
मगर ठहरो जरा बाबा,
की नजरों से बचा लें हम ।।
यहीं पन्नों से अब लाओ,
बनाएं नाव कागज की ।
इसे अब धार में डालें,
बहुत ही दूर जाएगी ।
रुको पकड़ो नहीं इसको,
ये वरना डूब जाएगी ।।
टपकती बूँद से आओ,
बचाए नाव कागज की ।।
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl
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Sat Sep 16 , 2017
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