अंधा कानून…

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shubham jayaswal
इंसानियत पर हैवानियत भारी,
आँखें मूंदकर देख रही दुनिया सारी,
ये लड़ाई,झगड़े,हत्या,दंगा,
सब कुछ बड़ा ही गंदा होता है।
सारी दुनियाँ जानती है,
ये कानून बड़ा ही अंधा होता है॥
झूठे किस्से,झूठी कसम,
झूठे फैसलों वाला विधि बेशरम,
बच जाते हैं वो कातिल,
जिनका हाथ खून से रंगा होता है।
सारी दुनिया जानती है,
ये कानून बड़ा ही अंधा होता है॥
पैसे पर बिकते कानून के पन्ने,
इंसान चूसा जा रहा बनकर गन्ने,
ये वकील-पुलिस का काला धंधा,
कभी न मंदा होता है।
सारी दुनिया जानती है,
ये कानून बड़ा ही अंधा होता है॥
गरीबों की फाईलें यूँ दबकर रह जाती है,
अमीरों की तो रोज अखबारों में आती है,
बीच सड़क पर इंसानियत का
नाच नंगा होता है।
सारी दुनिया जानती है,
ये कानून बड़ा ही अंधा होता है॥
घुट रहा इंसाफ का गला,
सफेद तो यूँ ही बच जाते हैं पहनकर कोट काला,
इस काली राजनीति के लिए,
हर रोज दंगा होता है।
सारी दुनिया जानती है,
ये कानून बड़ा ही अंधा होता है॥
                                        #शुभम कुमार जायसवाल 
परिचय: शुभम कुमार जायसवाल की जन्मतिथि-२ जून १९९९ और जन्मस्थान-अजमाबाद(भागलपुर, बिहार)है। आप  फिलहाल राजनीति शास्त्र से स्नातक में अध्ययनरत हैं। उपलब्धि यही है कि,छोटी कक्षा से ही छोटी-छोटी कविताएं लिखना,विभिन्न समाचार पत्रों में कई कविताएँ प्रकाशित और दसवीं की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दो दैनिक पत्रों द्वारा सम्मानित किए गए हैं। रुचि से लिखने वाले शुभम कुमार को सामाजिक क्षेत्र में कार्य के लिए पटना में विधायक द्वारा सम्मानित किया गया है। इनकी कविताएँ कुछ समाचार-पत्र में प्रकाशित हुई हैं। लेखन का उद्देश्य-समाज का विकास,सबको जागरुक करना एवं आत्मिक शांति है।

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