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मैं तो अछूत बच्चा हूँ जी,
समझ का भी थोड़ा कच्चा हूँ जी।
मुझे समझना है कि पापा क्यों पीते हैं,
मुझे समझना है कि घर के बर्तन क्यों रीते हैं।
मुझे समझना है कि मम्मी क्यों पिटती है,
मुझे समझना है कि भूख कैसे मिटती है।
क्यों मां मुझको मंदिर नहीं जाने देती है,
क्यों माँ त्योहारों में भीख लेती है।
मेरे पापा को कोई काम क्यों नहीं देता है,
मेरे घर में आराम क्यों नहीं रहता है।
क्यों बच्चे मुझको छूने से कतराते हैं,
मेरे हाथों का खाना लोग क्यों नही खाते हैं।
क्यों मेरा मोहल्ला अछूत कहलाता है,
क्यों मेरे घर कोई नहीं आता है।
क्यों हम सिर पर चप्पल रखते हैं,
जब चौधरी के घर के सामने से निकलते हैं।
वोट मांगने नेता जी जब आते हैं,
पापा को क्यों बोतल दे जाते हैं।
क्यों स्कूल में मेरी अलग थाली है,
क्यों मेरी सीट सबसे पीछे वाली है।
मेरे कुछ सवाल अनुत्तरित हैं,
जिनके जबाब आपसे अपेक्षित हैं॥
#सुशील शर्मा
परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा
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