गोकुल का ग्वाला

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madhav jha

माई रे गोकुल का ग्वाला, 

वो नटवर मधुर मुरलीवाला
श्याम छवि  माथे मुकुट मोर पंख विराजत
गले सोभे वैजन्ती माला,
माई रे गोकुल का ग्वालाl 


जब पहन पियर पिताम्बर घूम,
गली-गली मनभावन खेल दिखाता
जड़ चेतन आनन्दित कर
दुष्टों को भी हर्षाता,
गोकुल का ग्वाला l 

बाल सखा संग जब मिल,
दही माखन चोरी करता
लिपटा दही माखन निज मुख,
सुर नर मुनि ब्रह्मा भी मन मोहित करता
माई रे गोकुल का ग्वाला l 

बैठ कदम  के डारी जब-जब,
मुरली मधुर बजाता
गोपी,सखा सब दौड़ी आवे
चाहे राहन कितन भी हो बाधा,
माई रे गोकुल का ग्वाला l 

शशि की पूनम छांवों में यमुना तट,
सखियां संग रास रचाता
छोड़ कैलाश तपस्या शंकर भी देखन,
निज रूप बदल है आता
माई रे गोकुल का ग्वाला… 
वो नटवर मधुर मुरलीवाला ll
                                                                         #माधव कुमार झा
परिचय : माधव कुमार झा दिल्ली के जहाँगीर पुरी में रहते हैं l आपकी जन्म तिथि २० अगस्त १९९२ तथा  जन्म स्थान-गांव धेरूख पोस्ट बेनीपुर(बिहार) है l 

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