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तेरी यादों की ले चादर,
कि सोया रहूँ मैं रात भर
चाहता हूँ मैं बस इतना.,
कि न नींद आए,न कोई ख्वाब
मेरे हाथों में रहे बस तेरा हाथ भर,
कि,सोया रहूँ मैं रात भरl
लड़ जाउँगा मैं फिर,
जमाने की सब ताकतों से
बस मेरे टूटते हौंसलों को,
मिल जाए तेरा साथ भर
कि,सोया रहूँ मैं रात भरl
यकीं करती है तू मुझ पर,
यही दौलत है `मनु` मेरी
सुकूँ पहुँचाते हैं मुझको,
तेरे ये जज्बात भर
कि,सोया रहूँ मैं रात भरl
कि खोया है तूने भी,
अपना चैन मेरी खातिर
मायने बहुत रखती है,
मेरे लिए ये बात भर
कि,सोया रहूँ मैं रात भरl
#मनोज कुमार सामरिया ‘मनु'
परिचय : मनोज कुमार सामरिया `मनु` का जन्म १९८५ में लिसाड़िया( सीकर) में हुआ हैl आप जयपुर के मुरलीपुरा में रहते हैंl बीएड के साथ ही स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य ) तथा `नेट`(हिन्दी साहित्य) भी किया हुआ हैl करीब सात वर्ष से हिन्दी साहित्य के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और मंच संचालन भी करते हैंl लगातार कविता लेखन के साथ ही सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेख,वीर रस एंव श्रृंगार रस प्रधान रचनाओं का लेखन भी करते हैंl आपकी रचनाएं कई माध्यम में प्रकाशित होती रहती हैं।
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Mon Jul 3 , 2017
महंगाई पर इसका न पड़े असर, सरकारी खजाने जाएं सब भरl ऊपर पहुंच जाए विकास-दर, शुभ हो नव वस्तु सेवा करl व्यापारियों के मन से निकले डर, परेशानियों से सब जाएं उबरl ग्राहकों की न कहीं टूटे कमर, शुभ हो नव वस्तु सेवा कर। (साभार-वैश्विक हिन्दी सम्मेलन,मुंबई) […]