गजब देश है मेरा भारत,नियम निराले ढोता है,
खुद के बनाए नियम का ही नित-२ खंडन होता हैl
मंदिर में चमड़े पर देखो,रोक लगाई जाती है,
लेकिन अंदर चमड़े वाली,ढोलक पाई जाती हैl
जो लाखों का सोना देखो,मन्दिर में चढ़वाते हैं,
भीख मांगने आता कोई,उसको सदा भगाते हैंl
जो मंदिर के रुपयों से ही,अपनी पीढ़ी पाले हैं,
केवल पैसा दिखता जिनको,कैसे वो रखवाले हैl
अंदर छप्पन भोग लगे है,देशी घी तर जाता है,
और बाहर भूख से कोई,भूखा ही मर जाता हैl
कुत्ते तक से शादी करते,मानव को दुत्कारे हैं,
भूत-प्रेत के चक्कर में वो,बन जाते हत्यारे हैंl
मानव के अंदर ही देखो,गलती ढेरों छांटे है,
परम्परा के नामों पर वो,पशुओं को भी काटे हैl
तरह-तरह के पासे फेंके,देखो वो तन जाता है,
आज व्यापार करने में वो,बाबा ही बन जाता हैl
जाने कितने लोग यहाँ पे,पीड़ाओं को झेल रहे,
साधू-संत बने जो बैठे,अस्मत से है खेल रहेl
अपने सुख को पाने खातिर,हवस यहां पे फैलाए,
मानवता का ह्रास करे जो,कैसे मानव कहलाएl
#मन्जीतसिंह अवतार
परिचय : मन्जीतसिंह अवतार उत्तरप्रदेश में जिला हापुड़ की मीनाक्षी रोड पर रहते हैंl आपकी आयु करीब २७ साल हैl आपको काव्य लेखन का शौक हैl कवि सम्मेलनों में भी कविता पाठ करते हैंl