रोटी

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sunil naman
ये जो भोजन की थाली है,
हर समय लगती क्यों मुझे खाली-खाली है।
मैं भूख से बिलखता सदा,
रोटी मिलती क्यों यदा-कदा।
देखो-देखो मेरा हाल,
भूखा क्यों आज किसी मां का लाल।
अंतड़ियां मेरी सूख गई,
भूख मुझे ही क्यों लग रही।
मुझे तो चांद भी अब रोटी लगता है,
बिन भोजन कमबख्त वक्त भी नहीं कटता है।
अन्न के भंडार भरे हैं,
बच्चे क्यों विश्व में फिर भूख से मरे हैं।
कुपोषित हो गया शरीर है,
अमीरों को अमीरी पर कैसा ये गुरूर है।
मैंने अन्न को बर्बाद होते देखा है,
बिन अन्न के मिट रही बच्चों की क्यों जीवनरेखा है?
भूखा हूं-सुनो एक बात कहता हूं,
फिर गर हो चोरी कहीं तो मुझे न कहना।
भूख आदमी को गद्दार बना देती है,
भूख बीमार बना देती है।
भूख हिंसा,अत्याचार को जन्म देती है,
भूख से बिलखते हुए दुनिया रोती है।
भूख क्या नहीं करवाती है!
भूखे पेट नींद भी नहीं आती है।
भूखा पेट रोटी की ओर देखता है,
भूख नहीं देखती साग-सब्जी..
जैसे नींद नहींं देखती बिछावन।
भूख से मौतें होती हैं,
फिर दुनिया क्यों अब भी सोती है?
आज गोल थाली भी रोटी लगती है,
मुंह क्या आंखें तक निवाले तकती है॥
                                                                                     #सुनील कुमार
परिचय :सुनील कुमार लेखन के क्षेत्र में धार्विक नमन नाम से जाने जाते हैं। आप वर्तमान में डिब्रूगढ़ (असम)में हैं,जबकि मूल निवास झुन्झुनूं (राजस्थान) है।  शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (अंग्रेजी साहित्य,समाज शास्त्र,)सहित एम.एड., एमफिल और बीजेएमसी भी है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।