कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में समिति ने जगन्नाथदास रत्नाकर

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भारतेन्दु मण्डल की अंतिम आभा रहे रत्नाकर

इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर द्वारा कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में मंगलवार को सुप्रसिद्ध साहित्यकार, बृज भाषा की लब्धि जगन्नाथ दास रत्नाकर को आदर के साथ स्मरण किया। उनके जीवन चरित्र और कृतित्व पर साहित्यमंत्री डाॅ. पद्मा सिंह ने विस्तार से बताया और कहा कि ‘उनका जीवन बृज सेवा से चलकर भारतीय साहित्य की ओर बढ़ा।’
इस अवसर पर डाॅ. अखिलेश राव ने कहा कि ‘बृज के सुप्रसिद्ध कवि गाँधी से भी प्रभावित रहे और आज़ादी आंदोलन में भी सहभागी रहे।’
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने बताया कि ‘रत्नाकर जी भारतेन्दु मंडल की अंतिम आभा रहे, उन्होंने करुण रस में काव्य सृजन बहुलता से किया। उन्होंने गंगा अवतरण की सर्जना अयोध्या महारानी जगदम्बा देवी की प्रेरणा से की।’
डॉ. सुरेन्द्र कुमार सक्सेना ने कहा कि ‘रत्नाकर जी 126 कवित्त लिखने वाले, जिन्हें बाद में घनाक्षरी छंद कहा जाने लगा, ऐसे कवि जो विचारों का चित्र भीतर बनाकर कविता रचने वाले रहे।’ इनके साथ-साथ डॉ. आरती दुबे, डॉ. सुधा चौहान व भरत उपाध्याय ने भी रत्नाकर जी के संदर्भ में विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम का संचालन डाॅ. अखिलेश राव ने व आभार डाॅ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर संतोष त्रिपाठी, मीना सक्सेना, कुमुद अजय मारू, महेश लोदवाल, विजय खंडेलवाल, सुब्रतो बोस, जयंत तीवनेकर, छोटेलाल भारती, कमलेश पाण्डेय आदि काफ़ी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।