इंसानियत का दीया

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rd bairagi
क्या तेरी फितरत में
जलना और जलाना है,
क्या तेरे दिल में
आग में जलना और
आग लगाना है।
क्या तेरे उसूलों में
नफरत रखना औऱ
नफरत करना है
तू क्यों इंसान होकर
शैतान बनकर बैठा है।
क्या तेरा दिल
पत्थर-सा है,
ऐसा लगता नहीं
कहीं किसी कौने में
जरूर कोई
इंसानियत का दीया
जल रहा होगा…?
शायद वहां तक
रोशनी पहुँचने में
देर हो गई होगी,
ऐसा लगता है
तुझे कोई फरिश्ता
आज तक मिला नहीं,
जो तेरे दिल में
लगी नफरत की
आग को बुझाकर
इंसानियत का
दीया जला सके।।
                                                                                     #आर.डी.वैरागी  
परिचय : रमेश दास वैरागी सेवानिवृत्त कनिष्ठ लेखा अधिकारी हैं जो आदिवासी विकास विभाग(झाबुआ) में कार्यरत थे।

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