कविता- अशोक कहता है

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अशोक कहता है,
युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए।
शांति, ज्ञान, करुणा जिसका
गहना‌ वही बुद्ध चाहिए।
मोह-माया, राग-द्वेष जिसने
त्यागा‌ वही बुद्ध चाहिए।
अशोक कहता है,
युद्ध नहीं,‌ बुद्ध चाहिए।
राजवंश को‌ छोड़
भिक्षुक बन करुणा लुटाए
वहीं बुद्ध चाहिए।
अपने सुखों से मुख मोड़
देवत्व को जिसने पाया
वहीं बुद्ध चाहिए।
अशोक कहता है,
युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए।
संतोष, संयम, अहिंसा जिसके
अस्त्र वही बुद्ध चाहिए।
प्रेम, मानवता, दया जिसका
चोला वही बुद्ध चाहिए।
अशोक कहता है,
युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए।
लोभ, मोह, अहंकार से मुक्त रहे
वही बुद्ध चाहिए।
त्याग, बलिदान की प्रतिमूर्ति,
शूरवीर थे गौतम बुद्ध, हाँ
वहीं बुद्ध चाहिए।
अशोक कहता है,
युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए।

#श्रीमती रश्मिता शर्मा (गुरुजी)
इंदौर, मध्य प्रदेश

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