
तीन रचनाकारों उपासना, रुपाली ‘संझा’ और सविता पांडेय ने प्रस्तुत की अपनी रचनाएँ
नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा गुरुवार को नारी चेतना कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके अंतर्गत तीन रचनाकारों उपासना, रूपाली संझा’ और सविता पांडेय ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
सर्वप्रथम सविता पांडेय ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। उनकी कविताओं के शीर्षक थे 1 महुए की बेटियाँ, मृत्यु और प्रेम, डंपिंग ग्राउंड के विरुद्ध, किसी तख्ती पर बनाया गया अँधेरे का चित्र। इन कविताओं के बिंब वर्तमान के साथ अतीत की यात्रा पर भी ले जाने वाले थे। डंपिंग ग्राउंड पर लिखी कविता में एक चिड़ियाँ के द्वारा वहाँ फैले प्रदूषण को विराट रूप में दर्शाया गया था। रुपाली ‘संझा’ ने वियतनाम यात्रा पर प्रकाशित अपने यात्रा संस्मरण के प्रारंभिक अंश सुनाए । संस्मरण बहुत ही रोचक और जानकारी देने वाला था। उन्होंने वियतनाम में कमल के फूल की हर जगह उपस्थिति देखने पर पता किया तो ज्ञात हुआ कि कमल भारत की तरह वहाँ का भी राष्ट्रीय पुष्प है। अंत में उपासना ने अपनी कहानी ‘सरवाइवल’ प्रस्तुत की, जिसमें एक बेरोज़गार युवा और एक बिल्ली के आपसी संघर्ष को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया गया था और उसका संदेश था कि हम सबके जीवन में कोई न कोई हमारा अस्तित्व मिटाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है और अंत में उसके साथ समझौता करके ही हम जीवन जीने की कल्पना कर सकते हैं । कार्यक्रम का संचालन संपादक (हिंदी) अनुपम तिवारी ने किया।