श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति ने दिनकर की कविता का पोस्टर किया लोकार्पित

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समिति में साहित्य जगत ने किया राष्ट्रकवि दिनकर को नमन

इंदौर। हिन्दी के कालजयी साहित्यिकारों को प्रति सप्ताह विशेष आयोजन में याद करने की परम्परा में मंगलवार को श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता का पोस्टर लोकार्पित कर साहित्य जगत ने उन्हें याद किया।

समिति के प्रधानमंत्री श्री अरविंद जवलेकर की अध्यक्षता में व शोध मंत्री डॉ पुष्पेंद्र दुबे के आतिथ्य में पोस्टर का लोकार्पण हुआ।
स्वागत उद्बोधन एवं कार्यक्रम की रुपरेखा पर समिति के प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर ने कालजयी रचनाकारों के संदर्भ में किये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में बताया। संचालन साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने किया एवं आभार गिरेन्द्र सिंह भदौरिया ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर डॉ. मनीषा शर्मा ने भाषा, विषय और साहित्य के दृष्टिकोण से उन्हें सर्वोपरि कवि बताया। डॉ. समता जैन ने कहा कि उनके साहित्य के प्रकाश से आज भी हम दैदीप्यमान हो रहे है। डॉ. अखिलेश राव ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद सुविधाओं से दूर रहकर साहित्य पथ को अपनाने वाले कवि रहे। मुकेश तिवारी ने कहा कि ऐसे साहित्यिक सूर्य कवि कभी अस्त नहीं होते है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन अविचल ने दिनकर की कविताओं को प्रांजल मंत्र बताते हुए उनकी मृत्यु को इच्छा मृत्यु बताया।

डॉ अर्पण जैन ने अपने वक्तव्य में बताया कि ‘भागलपुर के मांझा यूनिवर्सिटी से नौकरी छूट जाने के बाद रामधारी सिंह दिनकर जी ने तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर अपनी मौत मांगी थी। मंदिर पहुंचकर उन्होंने रश्मीरथी का पाठ किया था, जो कई घंटो तक चला था। इस दौरान उनको सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग आए थे। उसी रात दिनकर जी के सीने में तेज दर्द उठा और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी।


डॉ. मनीषा व्यास ने उनकी प्रसिद्ध रचना सिंहासन खाली करो की जनता आई सुनाई। मीना, गोदरे, मुकेश इंदौरी, नीति अग्निहोत्री, आशा जाकड़, शांता पारेख, आरती दुबे ने भी अपने विचार रखें। मणिमाला शर्मा ने उनकी एक कविता का पाठ किया तथा सुधा चौहान साहित्य पुरोधा कहते हुए कलम आज उनकी जय बोल कविता का पाठ किया।
इस अवसर पर समिति के प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी, प्रबंध मंत्री घनश्याम यादव, प्रकाशन मंत्री श्री अनिल भोजे, शोध मंत्री डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे के अलावा सदाशिव कौतुक, रामचंद्र अवस्थी, डॉ. दीप्ति गुप्ता, दामिनी सिंह, विनीता तिवारी, डॉ. अंजुल कंसल, विजय सिंह चौहान, सुरेश कुलकर्णी, राजेन्द्र पांडे, नयन राठी तथा अभिजीत त्रिपाठी, छोटेलाल भारती, कमलेश पाण्डेय आदि के अलावा अनेक साहित्यकार मौजूद रहें।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।