शिक्षाविदों की लघुकथाओं के संकलन संचयन का लोकार्पण एवं चर्चा सम्पन्न

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लघुकथा कम शब्दों में महत्वपूर्ण बात कहने की विधा- डॉ मंगल

इंदौर। लघुकथा कम शब्दों में महत्वपूर्ण बात कहने की विधा है। लघुकथाकार गागर में सागर भरने में सक्षम होता है। यह बात वरिष्ठ शिक्षाविद और ऑल इंडिया कॉमर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. रमेश मंगल ने कही। डाॅ. मंगल ग्यारह महिला शिक्षाविदों द्वारा लिखी लघुकथाओं के संग्रह ‘संचयन’ के लोकार्पण और इस पर आयोजित चर्चा के समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस संग्रह का संपादन शिक्षाविद डाॅ. संगीता सिंघानिया भारूका ने किया है।

के.के. विज्ञान एवं व्यावसायिक अध्ययन महाविद्यालय में मंगलवार सुबह आयोजित समारोह में विशेष अतिथि के रूप में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. अर्पण जैन ‘अविचल’ महाविद्यालय के संरक्षक श्री जगदीश अग्रवाल, महाविद्यालय के निदेशक श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह मौजूद रहे उन्होंने भी पुस्तक पर विचार व्यक्त किए एवं इस प्रयोग के लिए शुभकामनाएं प्रदान कर संपादक डॉ संगीत भारूका का अभिनंदन किया।


पुस्तक चर्चा विचार प्रवाह साहित्य मंच के अध्यक्ष श्री मुकेश तिवारी ने की। संचालन प्रो. खुश्बू गुप्ता ने किया। आभार डाॅ. संगीता भारूका ने माना।

समारोह में प्रो.(डॉ.) पवन तिवारी ने स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ धीरज कटियार डॉ. श्वेता तलेसरा ,डॉ. श्वेता डगांवकर, श्रीमती नम्रता शर्मा श्रीमती पायल श्रीमाली , श्रीमती प्राची शर्मा आदि प्राध्यापक उपस्थित थे। इस लघुकथा संग्रह में ग्यारह शिक्षाविद प्रो.( डॉ.) इंदिरा दीक्षित, प्रो.( डॉ.) रेणु मेहता सोनी, प्रो.( डॉ.) रीता जैन, प्रो.( डॉ.) इरा बापना, प्रो.( डॉ.) बबिता कड़किया, प्रो.( डॉ.) स्निग्धा भट्ट, प्रो.( डॉ.) अनुपमा छाजेड़, प्रो.( डॉ.) आराधना चौकसे, प्रो.( डॉ.) संगीता सिंघानिया भारूका, डॉ. स्वाति सिंह व डॉ. वन्दना मिश्र मोहिनी की लघुकथाओं को शामिल किया गया है।

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