खुद पार पाना चाहिए

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suresh mishr
दर्द में भी मुस्कराकर,
दुख छुपाना चाहिए,
हो कोई भी ‘परेशानी’
खुद पार पाना चाहिए।
आ गए हों प्यार करने के
 तरीके यदि सभी,
रख कवच सिर पर ससुर
 के पास जाना चाहिए।
भा गई है आपको धनवान
 की बिटिया अगर,
लाज तजकर उसके
कुत्ते को खिलाना चाहिए।
सीखना है आपको यदि
राजनीतिक पैंतरा,
टोपियां हर धर्म की
हर दिन लगाना चाहिए।
क्षेत्र का बनना अगर मानिंद
 दादा आपको,
पुलिस के घर साठ प्रतिशत
 माल जाना चाहिए।
झूठ को सच सिद्ध करने
की महारत हो अगर,
चैनलों पर हो रही
चर्चा में आना चाहिए।
राजभाषा का किसी को
हड़पना है कार्यक्रम,
चेक का कुछ प्रतिशत
बड़े साहब को जाना चाहिए।
उपहार अच्छी,बात मीठी,
सबसे ज्यादा कमीशन
हों अगर,ठेके में किस्मत
आजमाना चाहिए।
दुश्मनी अच्छी नहीं,
न दोस्ती अच्छी सखा
पत्रकारों से नहीं पंजा
 लड़ाना चाहिए।
‘बड़े साहब’ न पटें तो
 ‘उपहार की महिमा गजब’
दांव उनकी बीबियों पर
ही लगाना चाहिए।
फोन करके वाहवाही,
और मस्का साथ में
‘भाई जी’ कह-कहके कुछ
 रिश्ता निभाना चाहिए।
मंच के सारे तरीके फेल
हो जाएं मियां,
विषभरे ‘कोबरा’ को
 मक्खन लगाना चाहिए।
फोन करना,उपहार देना,
हक जताना अलग से
जो हैं प्रतिद्वंदी उन्हें
‘घटिया’ बताना चाहिए।
लूट,चोरी,अपहरण,
हत्या में यदि हो तज्ञता
हाथ नेतागिरी में भी
आजमाना चाहिए।
गालियां मत दीजिए साहेब
उन्हें जग की सभी,
मात्र ‘नेता’ कहके भी
‘कमवा’ चलाना चाहिए।
‘माल’ पाना है अगर तो
 ‘आआप’ के सद्स्य बनो,
कृषक बनकर पेड़ से ही
लटक जाना चाहिए।
एक ढूंढो लाख मिलते
पप्पूओं की क्या कमी,
मजा तो,बैंकाक जाकर
जोश आना चाहिए।
शेख अब्दुल्ला,मुलायम,
लालूओं से सीख लो
‘लोकतंत्री’ देश में भी
वंश आना चाहिए।
है तुम्हें नेता अगर बनना
तो सजदा सीखिए,
हर चुनाव पूर्व घर-घर
में दिखना चाहिए।
द्वेष,ईर्ष्या,घृणा,है यदि
तो उसे मन में छुपा
होंठ पर मुस्कान रख
खंजर चलाना चाहिए।
यदि मराठों,गुर्जरों,
जाटों को आरक्षण मिले,
निर्धनों को जाइ मगहर
 में नहाना चाहिए ।
संस्कारों में पलीता लग
गया इस देश में,
है समय अब सभी को
मिलकर बचाना चाहिए।

                                                                           #सुरेश मिश्र

परिचय : सुरेश मिश्र मुम्बई में रहते हैं। आप वर्तमान में हास्य कवि के रुप में कई मंचों से काव्य पाठ करने के अनुभवी हैं। कवि सम्मेलनों में मंच संचालन भी करते हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।