
जनसंख्या विस्फोट से,
होगा जग का विनाश।
जन जन को बड़ा तड़पाएगी,
देखो भूख और प्यास।
रहने को जगह ना होगी,
ना छत होगी सिर पर कोई।
ना तेरा कोई जोर चलेगा,
ना चलेगी तेरी हट कोई।
खाने को भोजन ना होगा,
ना पीने को होगा पानी।
याद तुझे फिर आएगी,
तुझको तेरी नानी।
रोजगार ना होगा कोई,
ना होगी कोई कमाई।
खर्चे ना तेरे पूरे होंगे,
मदद ना होगी पराई।
भुखमरी और लाचारी से,
होगा बुरा हाल।
सबको अपनी अपनी पड़ेगी,
ना पूछेगा कोई हाल।
सोचो जरा आज बैठकर,
रोको ये विस्फ़ोट।
ना करो बहाना कोई अब,
लेकर मजबूरी की ओट।
कल को यदि बचाना है,
तो सँवारो अपना आज।
भूल सुधारो आज अभी,
बना लो बिगड़े काज।
छोटे परिवार में खेलें सदा,
खुशियां बेशुमार।
शिक्षा,स्वास्थ्य और धन की,
होती है भरमार।
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स्वरचित
सपना (स० अ०)
जनपद – औरैया