कश्मीर अब भाजपा के हाथों

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vaidik
जम्मू-कश्मीर की सरकार का जो हश्र अब हुआ, वह पहले ही क्यों नहीं हुआ ? भाजपा ने पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को साढ़े तीन साल टिकाए रखा और अपनी प्रांतीय और राष्ट्रीय छवि को चौपट होने दिया, इसके पीछे उसकी उदारता और धैर्य की तारीफ करनी पड़ेगी। भाजपा के समर्थक कश्मीर की घाटी में नहीं, जम्मू और लद्दाख में हैं। उनके लिए महबूबा मुफ्ती सरकार खास कुछ कर नहीं पाई बल्कि कठुआ-कांड में भाजपा के दो मंत्रियों को इस्तीफे देने पड़ गए। भाजपा का हिंदू वोट बैंक उसकी इस मजबूरी पर काफी खफा हो गया। भाजपा के कट्टर समर्थक कश्मीरी पंडितों को न्याय नहीं मिला। उनके लौटने की कोई संतोषजनक व्यवस्था नहीं हो पाई। उनकी हड़पी हुई संपत्तियां लौटाई नहीं गईं। जिस धारा 370 को हटाने के लिए श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान हुआ और जिसकी डोंडी पीटने का ठेका मोदी ने ले रखा था, उसे हटाने के लिए भाजपा ने जुबान भी नहीं हिलाई। भाजपा के सत्ता में आने का असर क्या हुआ ? श्रीनगर और दिल्ली, दोनों जगह आप काबिज हैं और आपकी सरकारों के चेहरों को पत्थरफेंकुओं ने लहूलुहान कर दिया। महबूबा ने 11 हजार पत्थर फेंकुओं के विरुद्ध लिखी गई एफआईआर रद्द करवा लीं। आपसे उन्होंने ईद के मौके पर एकतरफा शस्त्र-विराम करवा दिया। नतीजा क्या हुआ ? शुजात बुखारी मारे गए और आतंकी घटनाएं दुगुनी हो गईं। महबूबा ने ‘अफ्सा’ कानून हटाने पर भी दबाव डाला। आपने एकतरफा शस्त्रविराम तो कर दिया लेकिन आपने अलगाववादियों, आतंकवादियों और उनके संरक्षक पाकिस्तान से बात चलाने की कोई कोशिश नहीं की। आपका हिंदुत्व और उग्र राष्ट्रवाद अर्न्तध्यान हो गया। आप शायद यह सारा नुकसान जान-बूझकर झेलते रहे, इसी आशा में कि महबूबा शायद कुछ नई पहल कर देगी। महबूबा को इस गठबंधन से नुकसान जरुर होगा लेकिन भाजपा के नुकसान को अंदाज लगाना कठिन होगा। यह संभव है कि पहले राज्यपाल शासन और फिर जरुरत पड़ी तो राष्ट्रपति शासन के दौरान भाजपा धारा 370 हटाने की मुहिम चला दे, आतंकवादियों की कमर तोड़ दे और कश्मीर को ही सीढ़ी बनाकर 2019 का चुनाव जीत ले। राष्ट्रीय चुनावों के साथ ही कश्मीर के चुनाव भी हो जाएं। कश्मीर में अब शुद्ध भाजपा का शासन होगा। यदि भाजपा सरकार अब भी शिथिल बनी रही तो अकेले कश्मीर के कारण भाजपा भारत हार सकती है।
                              #डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।