ये कैसे दिन आ गए
मौत के बादल छा गए
बदहवास से घूमते सब
हवा में संक्रमण आ गए
रोज़ मरीज बढ़ रहे है
बैड तक कम पड़ रहे है
श्मशान में भी जगह नही
कब्रिस्तान खाली नही
तोहमत अब लगा रहे
बिना मास्क धमका रहे
याद आ गई दो गज दूरी
कर्फ़्यू लगाना है मजबूरी
काश,सावधानी बरतते
चुनाव रैलियां न करते
कुंभ के मेले न सजते
जो नियम बनाये थे
कुंभ में माने नही गए
संतो ने मास्क लगाए नही
दो गज दूरी अपनाई नही
बचाव डुबकी लगाई नही
ऐसे में कोरोना होना ही था
महामारी में बदलना ही था
पर,कुछ का भला हो गया
भले ही कुंभ स्वाहा हो गया
आर्थिक हित सध गए उनके
सारे पाप धुल गए उनके
कुंभ अब कभी निपट जाए
कोरोना किसी को चिपट जाए
उनकी तो बल्ले बल्ले हो गई
होली बाद दिवाली हो गई।
#श्रीगोपाल नारसन
Read Time1 Minute, 9 Second