राणा प्रताप चालीसा

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महाराणा प्रताप जयंती पर विशेष

जय हो राणा जय महाराणा।
जय मेवाड़ा राजपुताना।।
उदयपुरी उदेसिंह बसाया।
गढ़ चित्तोड़ा दुर्ग बनाया ।।
मातु पिता तुम्हरे जस पाई।
उदय सिंह जसवंता बाई ।।
नौ मई पंद्रह सौ चालीसा।
जन्में राणा हिन्दू ईशा ।।
पूत अमरसिंह अजबद नारी।
चेतक घोड़ा करी सवारी।।
लम्बी भुजा लोह शरीरा।
माथे तिलक मेवाड़ी वीरा।।
तुम्हरा भाला ढाल कृपाणा।
हरते पलपल अरिदल प्राणा।।
हल्दी घाटी के मैदाना।
हाथी घोड़ा पैदल सेना।।
भिड़ते पुरुषारथ बल नाना।
तुम्हरे बल को सबने जाना।।
जब भाई ने धोखा दीना।
अकबर लाभा तुरतहिं लीना।
चेतक की जग करे बढ़ाई।
आसमान पे उड़ता भाई।।
अरावली में कीन पयाना।
विपदा काटी राम समाना।।
खाई घास पात की रोटी।
रो रो हिम्मत देती बेटी ।।
तात कभी ना शीश झुकाना।
दुश्मन को तो मार भगाना।।
रजपूती पे न दाग लगाना।
चाहे प्राण रहे या जाना।।
साहस सेवा देश भलाई।
जनजन तुमसे आस लगाई।
भामाशह ने थैली खोली।
राणा के चरणों में मेली ।।
शेर दिलेरा राणा बांका।
अकबर तुमसे थरथर कांपा।।
सकल समाजा जनम मनाता।
आज जगत तुम्हरा जस गाता।
जय जय करते देत दुहाई।
कवि मसान ने कविता गाई।।

#डॉ दशरथ मसानिया
आगर मालवा

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।