माता पिता और गुरु

0 0
Read Time1 Minute, 58 Second

माता-पिता ने पैदा किया,
पर दिया गुरु ने ज्ञान।
लाड़-प्यार दिया
दादा-दादी ने।
पर गुरु ने दिया
अच्छे बुरा का ज्ञान,
उठे हृदय में
जब भी विकार।
तब उन्हें गुरु ने
कर दिया शांत,
तभी तो कहता हूँ
मैं कि आचार्यश्री हैं
इस युग के भगवान।

गुरु ही साँस और
गुरु ही आस है,
गुरु ही प्यास और
गुरु ही ज्ञान है।
गुरु ही संसार और
गुरु ही प्यार है,
गुरु ही गीत और
गुरु ही संगीत है
तभी तो लगी
गुरु से हमारी प्रीत।।

गुरु ही जान है,
गुरु ही आलंबन है,
गुरु ही दर्पण और
गुरु ही धर्म है।
गुरु ही कर्म और
गुरु ही मर्म है,
बिना गुरु के
कुछ भी नहीं है
तभी तो हृदय में
गुरु ही गुरु बसे हैं।।

गुरु ही सपना और
गुरु ही अपना है,
गुरु ही जहान और
गुरु ही समाधान है।
गुरु ही आराधना और
गुरु ही उपासना है,
गुरु ही आदि और
गुरु ही अन्त हैै
तभी तो गुरु के
प्रति जगा है प्रेम अनंत।

गुरु ही साज और
गुरु ही वाद्य है,
गुरु ही भजन और
गुरु ही भोजन है।
गुरु ही जप और
गुरु ही वंदना है,
गुरु ही प्यारा और
गुरु ही न्यारा है
इसलिए तो आत्मा में
वो समाया है।।

गुरु ही वन्दना और
गुरु ही मनन है,
गुरु ही चिंतन और
गुरु ही वंदन है।
गुरु ही चन्दन और
गुरु ही नंदन है,
तभी तो सब करते
गुरु का ही अभिनन्दन॥

(आचार्यश्री विद्यासागर जी को समर्पित)

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)

matruadmin

Next Post

गणेश चतुर्थी पर्व

Sun Jan 31 , 2021
आज गणेश चतुर्थी है संकट मोचन भगवान की, जो रक्षा करते हैं तुम्हारी और तुम्हारी संतान की। बनाओ इस दिन तिल गुड चावल से अच्छे पकवान जी, इनसे इनका भोग लगाओ जो खुश हो जाए भगवान जी। रखो व्रत इस दिन तुम और खैर मांगो संतान की, संकट मोचन नाम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।