क्या कल्चर है नाइट?

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क्या कल्चर है नाइट ?
ज़्यादा ग़लत, कम राइट,
चकाचौंध से धुंधली हो रही
इन आँखों की लाइट ।
क्या….

  1. पी के झूम रहे हैं,
    रात में घूम रहे हैं,
    सिगरेटों के उड़ते धुएँ को
    ले के चूम रहे हैं।
    बिना डोर के उड़ा रहे हैं
    देखो अपनी काइट।
    क्या…..
  2. मात-पिता क्या कहते!
    गुपचुप घर में रहते,
    बिगड़ रही है सारी संस्कृति
    पर बेचारे सहते।
    खर्चा तो देना है उनको
    जेब भले हो टाइट।
    क्या…..
  3. कोई बुरा न अच्छा,
    छोड़ें समझ के बच्चा?
    बच्चे ही तो दे देते हैं
    बड़े-बड़ों को गच्चा।
    जहाँ भी देखो, वहाँ हो रही
    एक-दूजे की फ़ाइट।
    क्या….
  4. कैसे इन्हें समझाएँ?
    रस्ता सही दिखलाएँ!
    दो लाइन में इनकी ग़लती
    इनसे ही लिखवाएँ।
    सड़कों पर ऐसे लडकों का
    क्या फ़्यूचर है ब्राइट ?
    क्या….
  5. सबके दिन ढलना है,
    जीवन एक छलना है,
    जितनी साँसें मिली हैं सबको
    उतना तो चलना है।
    कम हो जाएगी निश्चित ही
    अच्छी ख़ासी हाइट।
    क्या…..

प्रदीप नवीन

वरिष्ठ आशु कवि एवं साहित्यकार,
इन्दौर, मध्य प्रदेश

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