
ये कैसे सरकार आ गई
देखो अपने देश में।
खुद ही आग लगा रहे
देखो भारत देश में।
करना धरना कुछ नहीं
बस अपास में लड़ना है।
इसी का फायदा उठाकर
जनता को मूर्ख बनाना है।।
बैंको का पैसा लूटा दिया
जो था देश की जनता का।
पैसे लेकर भाग गये वो
देखते देखते विदेशो को।
चंदे की अदाई करने
बेच रहे ये देश को।
सब कुछ मिटाकर भी
शरम नहीं आ रही इनको।।
इतना कुछ करके भी
चंदा का कर्ज नहीं चुका।
तो हाथ डाल दिया अब
देश के अन्न दाताओं पर।
और ले आये कृषि कानून
अनपड़ भोलाभला समझकर।
अब गले की हड्डी बन गया
खुद का ये कृषि कानून।।
जिनको भोला भाल जानकर
खेला जो तुमने खेल।
उन्हीं किसानो ने बिगाड़ दिया
सरकार का पूरा खेल।
घुटनों के बल ला दिया
सारे रणनितीकारों को।
देख किसानो की संख्या को
अब सारे बिलो में छुप रहे।।
भूल गये इन्हीं किसानो को
जिन्होंने सत्ता पर बिठाया है।
और 70 सालों के शासक को
धूल में मिलाया है।
तुम भी अपने धमंड में
इतने मत इतराओ।
वरना किसान तुम्हें भी
सड़क पर फिर ला देंगे।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई