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शब्द साधना करते रहिए
कुछ भी नया रचते रहिए
सरस्वती बसी रहे जीभ पर
ऐसी वाणी बोलते रहिए
‘शब्द ‘साधक निमित्त मात्र है
रचियता तो त्रिलोकीनाथ है
उन्हीं को याद करते रहिए
अच्छा कुछ लिखते रहिए
इसी से आत्म सन्तोष मिलता
इसी से व्यक्तित्व खिलता
कलम अपनी चलाते रहिए
सबको अपना बनाते रहिए।
#श्रीगोपाल नारसन
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