दुःख सारे हर ले 2021

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जो कभी नही देखा था
वह सब देखना पड़ा
इस 2020 के साल में
कोरोना को झेलना पड़ा
जीवन भारी सा हो गया
कई अपनो को ले गया
सबके सब अछूत हुए
हाथ मिलाना पाप हुआ
गले लगाना अभिशाप हुआ
चेहरा मास्क में ढक गया
पहचानना मुश्किल हो गया
मेले सब इतिहास हो गए
शादियां सादगी में बदल गई
शानाओशोकत ढ़ल गई
घरों में रहने को विवश हुए
लॉक डाउन से आहत हुए
रोजी -रोटी सब चली गई
जिंदगी जैसे छली गई
कमाने का ज़रिया नही
वक्त रहा बढ़िया नही
कोरोना हमे डराता रहा
अपनो से दूर करता रहा
सावधानी ही बचाव रही
सेनेटाइजर ही छाई रही
बीस सेकंड हाथ धौना
दो गज की दूरी बनाना
यही सब हम करते रहे
नो माह तक चलते रहे
किसान भाई नाराज़ रहे
सड़को पर ही पड़े रहे
न्याय उन्हें मिला नही
कानून वापस हुआ नही
संघर्ष में वक्त बदल गया
2020 से 2021 आ गया
इस साल में यह सब न हो
यही संकल्प लेना होगा
उम्मीद का सूरज आएगा
दुःख सारे हर ले जाएगा
खुशियो की बरसात होगी
सबसे दिल की बात होगी
सब अच्छा ही होता रहे
यही शुभकामनाएं है
2021 की मंगलकामनाएं है।

भूल जाओ सन 2020 अब आ गया सन 2021!

खुशी के साथ शुरू हुआ सन 2020 जिस प्रकार कोरोना के कारण कष्टो के साथ बीता ,उसे देखकर हर कोई चाहेगा कि बीते साल का साया इस नये साल पर न पड़े।नये साल में कोरोना का पूरी तरह से खात्मा हो और यह नया साल नई उम्मीद, नया जोश,नई अच्छी सोच के साथ शुरू हो।क्योंकि हर कोई चाहता है कि बीता साल कैसा भी रहा हो लेकिन आने वाला साल खुशियो भरा हो।नये साल के इतिहास में झांके तो पता चलता है कि नव वर्ष लगभग 4,000 वर्ष पहले बेबीलीन नामक स्थान से मनाया जाना शुरू हुआ था। प्रत्येक वर्ष एक जनवरी को मनाया जाने वाला यह पर्व ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई है। इस रोमन कैलेंडर का नया वर्ष 1 मार्च से शुरू होता है, लेकिन रोमन के प्रसिद्ध सम्राट जूलियस सीजर ने 46 वर्ष ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया था। इसमें उन्होंने जुलाई का महीना और इसके बाद अपने भतीजे के नाम पर अगस्त का महीना जोड़ दिया। तब से नया साल 1 जनवरी को मनाया जाने लगा।हालांकि हिन्दू संवत्सर के अनुसार अभी भी चैत्र मास प्रतिपदा से ही नये वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।लेकिन बहुसंखयक वर्ग दुनियाभर मे एक जनवरी को ही नववर्ष के रूप मे मनाते है।
हिन्दू धर्म के मतानुसार ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन से नव वर्ष का आरंभ भी होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है। जिसका प्रचलन आज भी जारी है।
अपने देश में नववर्ष सभी स्थानों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। ज्यादातर ये तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती हैं। पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है। सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं। जैन धर्म के लोग नववर्ष को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है। दुनियाभर में नववर्ष अलग अलग ढंग से मनाया जाता है। इसे मनाने की हर देश की अपनी एक अलग परंपरा है जिसके पीछे कुछ प्रतीक भी हैं और खुशिया मनाने के तरीके भी निराले है।
हम नववर्ष पर पर्यावरण सुरक्षा के लिए कुछ ऐसा करे जो अनुकरणीय हो, इसके लिए नववर्ष में कुछ नए पौधे लगाकर प्रकर्ति को और भी सुंदर बनाने का संकल्प लिया जा सकता है।घर के हर सदस्य से कही न कही एक पौधा लगवाये और उसका पोषण भी करे।
नववर्ष का जश्न घर मे परमात्मा को याद करके और पार्टी करके भी किया जा सकता है।
हम अपने परिजनों,मित्रो के साथ भी नववर्ष पार्टी सेलिब्रेट कर सकते है. इसके लिए आप किसी होटल में कास्सिनो या क्लब में जाकर भी मौज मस्ती कर सकते है।लेकिन यह मौज मस्ती सात्विक हो, तो बेहतर है।लेकिन साथ ही कोरोना महामारी से बचाव के नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी है।
हम नववर्ष पर सारा समय अपने परिवार के साथ बिता सकते है क्योंकि कई बार आप समय की व्यस्तता के कारण परिवार को समय नहीं दे पाते है। इस दिन आप अपने परिवार को खाने पर कही बाहर लेकर जा सकते है और उन्हें कुछ उपहार भी दे सकते है।
साथ ही पिकनिक या मूवी प्लान कर सकते है। नववर्ष पर आप अपने परिवार या मित्रो के साथ मिलकर पिकनिक या सिनेमा देखने की योजना बना सकते है। लेकिन सबसे आवश्यक यह है कि आप नववर्ष पर परमात्मा को याद करना और उन्हें नमस्कार करना न भूले।परमात्मा से प्रार्थना करे ,हे प्रभु बीता वर्ष भले ही कष्ट देने वाला रहा हो,लेकिन यह वर्ष हम सबके लिए,इस देश और समाज के लिए मंगलकारी हो तथा दुनिया मे शांति सदभाव बना रहे।साथ ही हम सबका स्वास्थ्य, हम सबकी सोच व कर्म अच्छे बने रहे।देश व समाज का भला हो।यही नये साल का सबसे अच्छा संकल्प होगा,साथ ही हम नये साल में अपने अंदर छिपी किसी एक बुराई या फिर सभी बुराइयों को त्यागने की शुरुआत करें तो हम नये साल में बेहतर बन सकते है।(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।)
डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
रुड़की,उत्तराखण्ड

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।