Read Time42 Second

एक प्यारी सी मां मिली थी
देखते ही उसे मेरी बांछे खिली
लगा जैसे लौट आई हो मां
अपने एक नए से स्वरूप मे
वास्तव में मां तो मां ही होती है
फिर चाहे मेरी मां हो या उसकी
मां का कोई मजहब नही होता
मां की कोई जात भी नही होती
माँ का कोई रंग भी नही होता
बिल्कुल पानी के रंग तरह
औलाद जिस रंग मे चाहती है
मां उसी रंग मे ढल जाती है
सचमुच वह एक मां है सिर्फ मां
भगवान का वास्तविक रूप।
#श्रीगोपाल नारसन
Post Views:
472