
‘रसानुभूति’ द्वारा परिचर्चा आयोजित
इंदौर।
वर्षों मन्थन करने के उपरांत लागू होने वाली नयी शिक्षा नीति देश के भावी भविष्य को रोजगारपरक और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाने वाली है।
ये उद्गार भोपाल के डॉ. महेश जैन ने सर्वोदय अहिंसा ट्रस्ट एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा आयोजित नयी शिक्षा नीति के शैक्षणिक सामाजिक/धार्मिक,सांस्कृतिक और नैतिक अवदान को परिलक्षित करती वैश्विक फलक पर साहित्यिक विमर्श की साप्ताहिक श्रृंखला रसानुभूति के अन्तर्गत तृतीय परिचर्चा के दौरान व्यक्त किये।
मीडिया प्रबन्धन प्रमुख दीपकराज जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम का शुभारम्भ समकित शास्त्री खनियाधाना के द्वारा मंगलाचरण से हुआ।
इस तृतीय परिचर्चा का विषय वर्तमान नयी शिक्षा नीति और उसका धार्मिक शिक्षा एवं संस्थानों पर पढ़ने वाले प्रभाव था, जिसमें अनेक विद्वानों और साहित्यकारों द्वारा जिज्ञासायें व्यक्त कीं जिनका समुचित समाधान इस चर्चा में आमन्त्रित विद्वान् शिक्षाविद् डॉ. महेश जैन, सह संचालक, लोक शिक्षण, भोपाल ने दिया।
सभा के अध्यक्ष सुनील सर्राफ , सागर द्वारा अध्यक्षीय भाषण तथा परिचर्चा का संचालन अंकुर शास्त्री एंकर कम एडिटर, दूरदर्शन भोपाल एवं चैतन्य शास्त्री GPTL अहमदाबाद ने साथ किया। आभार- प्रदर्शन डॉ. अर्पण जैन अविचल, एवं भावना शर्मा द्वारा किया गया।
मीडिया प्रभारी प्रद्युम्न फौजदार ने बताया कि इस परिचर्चा के संयोजक गणतंत्र जैन ओजस्वी, संजय शास्त्री, सर्वोदय अहिंसा रहे।
इस परिचर्चा में श्री धीरेन्द्र चतुर्वेदी ए डी शिक्षा, मध्यप्रदेश, के अतिरिक्त मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग के अनेक अधिकारी, शोधार्थी, शिक्षा शास्त्री, शिक्षाविद् के अतिरिक्त पं. राजकुमार जी उदयपुर, रिषभ जी छिन्दवाडा, अजित जी अलवर, डॉ महेन्द्र जी मुकुर,मुम्बई, श्री विजय जैन, अहमदाबाद, मनोज जी मधुर, डॉ मनीष जी मेरठ, निलय जी आगरा, निपुण जी भोपाल, अमोल जी हिंगोली, डॉ. सुमत जी उदयपुर, डॉ श्रेयांस जी जबलपुर के साथ ही नीना जोशी, नरेन्द्रपाल जैन, भावना शर्मा, नीतेश गुप्ता आदि अनेक साथी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सर्वोदय अहिंसा के यूट्यूब एवं फेसबुक चैनल पर किया गया।