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01
सावन आए
बादल उमड़ के
बरखा लाए।
02
डाली के झूले
बनते इतिहास
अब सावन।
03
खिल जाता है
साजन का साथ पा
हाथों का रंग।
04
मोर नांचते
कोयल है बांचती
घर मेंहदी।
शशांक मिश्र भारती (शाहजहांपुर)
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