आगाज़

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सदी इक्कीसवीं, बरस था सोलहवां
दिवस और मास भी तो था ग्यारहवां
रखा था एक कदम जो अब बना कारवां |

लेकर ध्येय ‘हिन्दी भाषा के गौरव को बढ़ाना’
और ‘भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना’
की ‘अविचल’ ने मातृभाषा.कॉम की स्थापना |

देकर अभिव्यक्ति पटल
द्विसहस्त्र रचनाकारों को
मिला अवसर सृजन का
नये-पुराने सब साथियों को
जोड़ा अपने साथ दुनिया
के दस लाख पाठकों को |

फिर ‘हस्ताक्षर बदलो’ अभियान चलाया
‘हिन्दी में हस्ताक्षर’ को निज गौरव बनाया
हिंद देश के वासियों तक ये संदेश पहुँचाया |

गतिशील रही यात्रा, बाद एक वर्ष किया गठन
दिया नाम जिसे ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’
थामी ध्वजा करने को स्वभाषा का उत्थान |

अगली कड़ी थी सफल निर्माण हिन्दीग्राम का
माध्यम बना जो हिन्दी के प्रचार – प्रसार का
देकर रोज़गार परक स्वरूप
हिन्दी का |

मिली सफलता दृढ़ संकल्प और ‘चरैवेति’ मंत्र से
जब हुये लाखों लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में
और खड़े हुये वो ‘हिन्दी हो राष्ट्रभाषा’ के पक्ष में|

अब कर रहे साहित्यकार कोश की शुरुआत
करके अनेकों सह्स्त्र की जानकारी समाहित
होगा सर्वश्रेष्ठ हिन्दी संस्थान का कीर्तिमान स्थापित |

अब जानें हम वर्तमान स्थिति आंदोलन की
अभियानों के लिए दिये गये प्रशंसा प्रमाणों की
किये गये कार्यो से बने विश्व कीर्तिमानों की|

इसकी प्रेरणा से ग्यारह लाख हस्ताक्षर हिन्दी में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का समर्थन ग्यारह लाख से
द्विसहस्त्र से अधिक लेखक हैं मातृभाषा.कॉम के |

नौ लाख से अधिक पाठकों का स्नेह प्राप्त है
दस सहस्त्र से अधिक रचनाकारों का साथ बीस सहस्त्र से अधिक समाचार कर्मियों का जुड़ाव है |

दिन-प्रतिदिन की ख़बरों में संस्थान रहता है
देश के हर वर्ग का इसको समर्थन मिलता है
‘हिन्दी योद्धा’ के रूप में हर क्षण तत्पर दिखता है |

‘मातृभाषा.कॉम’ से शुरू सफर ‘हिन्दीग्राम’ तक
‘संस्मय प्रकाशन’, ‘वूमन आवाज’ से ‘कोश’ तक
अब ‘साहित्यग्राम’ से
‘ख़बर हलचल न्यूज़’ तक |

“वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड्स’, लंदन का विश्व कीर्तिमान
त्रिवर्षों की अनथक यात्रा
का ‘ई पुस्तिका’ में संकलन
अंत नही, ये संस्थान के आगाज़ का है आंकलन॥

डॉ. अलका रानी अग्रवाल’अलमिका’
चंदौसी (संभल) उत्तर प्रदेश

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।