क्या भविष्य में कोरोना के साथ जीना होगा?

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 भविष्य में कोरोना के साथ जीना एक वर्तमान भीमकाय चुनौती है। जिसे स्वीकार करना हमारी विवशता है। क्योंकि अस्वीकार करने वाले भी उपरोक्त चुनौती से बच नहीं सकते। इसलिए क्यों न योद्धाओं की भांति इसे परास्त करने के लिए स्वीकार कर लें। 
 उल्लेखनीय है कि धरा पर इससे पहले भी चेचक, तपेदिक, डेंगू इत्यादि अनेक महामारियों ने जन्म लिया और असंख्य मानव प्राणों को असमय के काल का ग्रास भी बनाया था। जिसका मानवजाति ने डटकर निडरता से सामना करते हुए जैसे उन पर विजय प्राप्त की, उसी प्रकार आज धेर्य और साहस के सामूहिक बल से जारी युद्ध से 'कोरोना' महामारी पर विजय प्राप्त करनी है। ताकि अनमोल जीवन तब तक बचाया जा सके जब तक इस विषाणु की उचित दवा बना नहीं ली जाती।
 दवाई बनाना विज्ञान और वैज्ञानिकों की प्रचण्ड चुनौती है। जिसे उन्हें सहर्ष स्वीकारते हुए निरंतर अनुसंधान करने चाहिए। 
 यूं भी चुनौतियां स्वीकार करना शूरवीरों का ही कार्यक्षेत्र होता है। क्योंकि चुनौतियां ही मानव और मानवीय शक्तियों का मूल्यांकन करती हैं। जिससे उक्त व्यक्ति का व्यक्तित्व भी निखरता है। उदाहरण स्वरूप चाणक्य ने चुनौतियों को गले लगाया और चाणक्य नीति का निर्माण किया। जिसे आज भी 'चाणक्य नीति' से जाना जाता है।
 गीता के उपदेश अनुसार भी कर्म करना अति अनिवार्य है। कर्म अच्छा या बुरा करना कर्मकर्ता के अधीन है। कर्म ही हमारी पहचान है और हमारी पहचान ने ही तय करना है कि क्या भविष्य में कोरोना के साथ जीना है या कोरोना को मार कर विश्व विख्यात होना है?

इंदु भूषण बाली’

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।