
घर पर बैठे थक गए है,
तो यादों कुछ ताजा करे।
और जिंदगी की किताब के,
कुछ पन्नो को खोलकर देखे।
और दिल की आवाज को,
धर्य से सुन कर ले।
क्योकि मन बहुत चंचल है
जो इंसान को भटकाता है।।
राह सही होते हुए भी,
दिमाग को उलझता है।
और मनुष्य के हृदय में,
विकारों को जन्म देता है।
और उससे अच्छे बुरे की,
सोच को दूर करता है।
पर ज्ञानवान विवेकवान तर्कवान मनुष्य,
अपने लक्ष्य तक पहुंचता है।।
जिंदगी को जीना और पढ़ना,
किसी के लिए आसान नहीं।
लक्ष्य बिना जीने वालो के,
जीवन का कोई मोल नहीं।
कितने लोग इस तरह से,
अपनी जिंदगी को जीते है।
पर जीवन की ऊंचाइयों पर,
लक्ष्य वाले ही पहुँचते है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।