गुनाहगार बनी हूँ जैसे

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मेरा प्यार
आज़ मुझे
गुनाह लगने लगा है…
..पाक दामन पे
जैसे कोई दाग़ लगने लगा है…

बरसों से इक इबादत करते आए थे
पलकों की ठहरी बूँदों से चाहत लिखते आए थे
गरूर था मेरी चाहतों पे
सरूर भरा था निगाहों में..

किसी कों चाहना
आज़ मुझे
सज़ा लगने लगा है
किसी कों
रूह में बसाना
जैसे हुआ हो कोई पाप लगने लगा है ..

मेरा प्यार
आज़ मुझे
गुनाह लगने लगा है…

बिछड़े लम्हों को आँखो में बसा आए थे
होंठों पे मुलाकातों के क़िस्से सजा लाए थे…
कितने क़रीबी एहसास थे
दूर रह कर भी पास थे ..

मेरा इकरार
आज़ मुझसे
सवाल करने लगा है .
ये इज़हार
क्यूँ हुआ जैसे गलत लगने लगा है ..

                 मेरा प्यार 
                    आज़ मुझे 
                 गुनाह लगने लगा है...
                  ..पाक दामन पे 
                जैसे कोई दाग़ लगने लगा है....॥

#डेज़ी बेदी जुनेजापरिचय-

नाम………डेज़ी बेदी जूनेजा 
जन्मतिथि……1मई 
पता…….मोहाली (चंडीगढ़ )

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