
जिन्दगी में सदा,
मुस्कराते रहो।
फासले कम करो,
दिल मिलते रहो।
जिन्दगी में सदा,
मुस्कराते रहो..….।।
दर्द कैसा भी हो,
आँख नम ना करो।
रात कली सही,
कोई गम न करो।
एक सितारा बनो,
जग मगाते रहो।
फासले कम करो,
दिल मिलते रहो।।
जिन्दगी में सदा,
मुस्कराते रहो..….।।
जिन्दगी में सदा,
मुस्कराते रहो।
बाँटना है अगर,
बाँट लो हर खुशी।
गम ना जाहिर करो,
तुम किसी से कभी।
दिल गहराई में,
गम छुपाते चलो।
फासले कम करो,
दिल मिलते रहो।।
जिन्दगी में सदा,
मुस्कराते रहो..….।।
आसू अनमोल है,
खो न देना कही।
इनकी हर बूंद है,
मोतियों सी हंसी।
इन को हर आँख से,
तुम चुराते रहो।
फासले कम करो,
दिल मिलते रहो।।
जिन्दगी में सदा
मुस्कराते रहो….।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।00