हम होली के हमजोली हैं

1 0
Read Time3 Minute, 31 Second

हम होली के हमजोली है, इस होली में हमजोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है
उल्लास भरी पिचकारी से, इक दूजे पर हम वार करें
लें हाथ पकड़ इक दूजे का, ये जीवन नैया पार करें
ना बन्धन ना कोई पहरा है,दिल मेरा तेरी ही खोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

हाथों में रंग गुलाल लिए, क्यो दूर खड़ी शरमाती हो
नैंनों से बाण चलाती हो, यूं देख मुझे इठलाती हो
बस दूर दूर रह करके क्यूं, तू यूं कर रही ठिठोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

अधरों का रंग अलग दिखता, आंखें रंगीन सी लगती है
हाथों की मेंहदी रंग अलग, और पांव महावर दिखती है
तेरे पैरों की छाप जहां, यूं लगे बनी रंगोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

आज रहूं मैं ना खुद मैं, तू भी तो खुद को ना पाये
इक दूजे में यूं खो जायें, कि मै और तुम हम हो जायें
मिल करके यूं मदहोश हुआ, तू लगे भांग की गोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

ना रंग लगा उन गालों पर ,बस छूने से ही लाल हुए
बाहों का हार उन्हें पहना कर हम तो आज निहाल हुए
आलिंगन से यूं शरमा गई, जैसे वो बैठी डोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

अपने अधरों का रंग लगा कर, अपने रंग में रंग गई वो
रंग लगा पर दिखता ना, जाने क्या जादू कर गई वो
इक बूंद कहीं ज्यादा न गिरा, यूं लगे कि जैसे तोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

ना लाल लगा ना पीला कर, ना ही वस्त्रों को गीला कर
ना गाल गुलाल लगाया कर, ना ब्यूटी पार्लर जाया कर
तेरे सुर्ख कपोलों के आगे, फीके सब कुमकुम रोली हैं
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

पीड़ा अन्तर्मन की छोड़ों खुशियां ही खुशियां हो जायें
आ प्यार के रंग में ऐसे रंग, हम इक दूजे में खो जायें
बस रंग ही रंग भरें इसमें, जीवन रंगो की झोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

अब भाव समर्पण का रखकरहम खुद को यूं तैयार करें
सांसों से सांस मिला करके, आ जा नजरों से प्यार करें
मायूस लगे मासूम दिखे, सूरत वो कितनी भोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

आज लिखूं अंगो पे तेरे, मैं होठों से अपने कविता
कितना सुखदायक मंगलमय, होली का ये पल बीता
होली पावन ‘एहसास’ किया,होली हो मुबारक बोली है
जीवन भर खुशियों के रंग से, हम होली के हमजोली है

अजय एहसास

अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

matruadmin

Next Post

छल

Thu Mar 12 , 2020
घोर कलियुग का दौर है स्वार्थ हो गए सर्वपरि निष्ठा पल में बदल गई स्वयं को जो कुर्सी मिली जनता की कसमें खाकर जो खुद को सेवक बताते थे वही महाराज दलबदल कर जनता का मोल लगाते है जीवन दर्पण है सब देखते है लक्ष्मीबाई से हुआ छल देखते है […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।