
हां हां मैं पागल हूँ क्योंकि मैंने डा केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व राष्ट्रीय कैडिट कोर से राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा पाकर राष्ट्रभक्त बना हूँ मैंने बाल्यावस्था से राष्ट्रभक्ति के गीत जाकर देखो हल्दीघाटी हुई रक्त से लाल इत्यादि गाए हैं मैंने छत्रपति शिवाजी झांसी की रानी गुरु गोबिंद सिंह जी राणा प्रताप सिंह जी भगत सिंह जी ऊधम सिंह जी और जम्मू कश्मीर से एक विधान एक निशान एवम एक प्रधान के पक्ष में बलिदान हुए डा श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी जैसे असंख्य देशभक्त मेरे आदर्श हैं जिनके पदचिंहों पर चल रहा हूँ
उल्लेखनीय है कि ऊपरोक्त वीर वीरांगनाएँ भी तथाकथित बुद्धिमानों की दृष्टि में पागल ही होंगे क्योंकि वह भी राष्ट्रहित में कार्य कर राष्ट्र के काम आए और मैंने भी राष्ट्र को सुदृड़ करने हेतु भारत सरकार के ग्रह मंत्रालय के अधीन अपने एसएसबी विभाग के भ्रष्ट क्रूर अधिकारियों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिगुल बजाया था जिसके फलस्वरूप कांग्रेस नीत मेरे विभागगीय भ्रष्ट एवम क्रूर अधिकारियों ने मुझे शारीरिक मानसिक आर्थिक एवम सामाजिक क्रूर अपराधिक प्रताड़ना दी यही नहीं उन क्रूर अपराधी अधिकारियों ने सशक्त भारत के प्रति मेरी देशभक्ति को देशद्रोह का नाम दिया था जो संवैधानिक सर्वोच्च कलंकित आरोप है जिसे सार्वजनिक झूठा प्रमाणित करना मेरा अधिकार एवं कर्तव्य है हालांकि इसके लिए मैंने साहित्य अकादमी पुरस्कार इत्यादि प्राप्तकर्ताओं से भी सहयोग मांगा और अवर्णनीय निराशा पाई
इसके अलावा 207 पन्नों की मेरी याचिका में मेरा विभाग एसएसबी सामाजिक न्याय मंत्रालय की दिव्यांगजन न्यायालय के मुख्य आयुक्त डा कमलेश कुमार पांडेय के समक्ष इस कलंकित आरोप से लिखित रूप में मुकर चुका है
किंतु न्यायपालिका में सिद्ध करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली से 207 पन्नों पर लिखित राय की प्रतीक्षा में हूँ जिसके संरक्षक भारत की उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं उल्लेखनीय है कि भारत सरकार उक्त राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली पर अरबों रुपये वार्षिक खर्च करती है जो मुझे वर्षों से लिखित राय परामर्श नहीं दे पाई जिसकी जांच राष्ट्रहित में अति आवश्यक है
ऊपरोक्त असहनीय प्रताड़ना व झूठे कलंकित आरोपों के कारण उपजे मानसिक तनाव एवम आंतड़ियों के क्षय रोग सहित मेरे एसएसबी विभाग ने मुझे देश के विभिन दुर्गम क्षेत्रों में स्थानांतरण कर संविधान की धारा 21 39ए मेंटल हेल्थ एक्ट 1987 एवम दिव्यांगजन अधिनियम 1995 वर्तमान 2016 का घोर उल्लंघन किया उस पर मेरा दुर्भाग्य यह रहा कि कांग्रेसी नेता एवम अधिवक्ता आशोक शर्मा मुझसे फीस के रूप में पांच हजार रुपये लेकर मेरे अधिकारियों से मिल गये थे जिस पर अधिवक्ता अधिनियम 1961 के उल्लंघन पर उच्चतम न्यायालय द्वारा मेरी प्रार्थनापत्र को माननीय जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को भेजने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई राष्ट्रीय एवम अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संगठनों से आग्रह करने पर ज्ञात हुआ कि उनके पदाधिकारी भी मानवता का धंधा करते हैं
बताना आवश्यक है कि विद्यार्थी काल में मैंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा लिखित लेख विद्यार्थी और अवकाश से प्रेरणा लेकर अपने कस्बे में नौजवान ग्रामसेवक संस्था का गठन किया था और सफाई अभियान के अंतर्गत कस्बे को स्वच्छ किया था जिसे कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधियों ने पागलपन का नाम दिया था जबकि आज उसी पागलपन के आधार पर भाजपा की मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत के अंतर्गत विश्व में तिरंगा लहराया है
यही नहीं स्वच्छता के लिए मैंने माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय व राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली के दरवाजे खटखटाए थे जिन्होंने मेरी प्रार्थना को पागलपन ना मानते हुए सरकार को स्वच्छता के लिए कड़े निर्देश दिए थे उक्त आदेशों के बावजूद मरणव्रत रखवा कर घर घर निशुल्क शौचालय बनवाए
इसी प्रकार मैं पागलपन की चरम सीमा को पार करते हुए मानव कल्याण और राष्ट्रभक्ति के विभिन्न सुकार्यों में लीन मानवीयता व देशभक्ति के पथ पर अग्रसर होता रहा जैसे राज्य एव केंद्र सरकार से क्षय रोग की दवाई हेतु लम्बा संघर्ष करना और न्यायालय से दवाई हेतु आदेश पारित करवाना है जिसके कारण आज मोदी सरकार में निशुल्क दवाईयों के साथ साथ अनेक अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं
उस साहासिक संघर्ष से मालूम हुआ कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा क्षय रोग की रोकथाम हेतु रोगियों के लिए दी गई दवाई बिना रोग के कांग्रेस सरकार खा चुकी है और रोगियों को मात्र विज्ञापनों में ही दवाईयां मिलती थीं यही नहीं रेडक्रास व संत जोनस एम्बुलेंस में मैंने राष्ट्रीय नारी संघर्ष मोर्चा के संरक्षक का दायित्व निभाते हुए 85 परीक्षार्थियों को प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण अर्थात फर्स्टएड ट्रेनिंग कोर्स करवाया था जिसके प्रमाणपत्र महामहिम राष्ट्रपति से बारबार गुहार लगाने के बावजूद आज भी नहीं मिल रहे जबकि यह प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण एक विश्व कीर्तिमान था। इसलिए इसकी गहन जांच होना अति अनिवार्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय परम आवश्यकता है
कांग्रेस सरकार की क्रूरता से तंग होकर मैं दृड़तापूर्ण पत्रकारिता के माध्यम से कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य पर कार्य करता रहा गर्व से बताना चाहुँगा कि एसएसबी की नौकरी में न्याय हेतु जिला जेल जामनगर में और नौकरी से पहले मैं भाजपा नेता स्वर्गीय ठाकुर सहदेव सिंह भाऊ के नेतृत्व में स्वर्गीय ठाकुर रामनाथ मन्हास के साथ राजनैतिक जेलों में रह चुका हूँ
परंतु मेरे पैरों तले से जमीन उस समय लुप्त हो गई जब भाजपा नेताओं साहित विधायक डा कृष्ण लाल भगत ने महामहिम राष्ट्रपति को लिखी मेरी प्रार्थनापत्र सम्पूर्ण न्याय या इच्छामृत्यु पर हस्ताक्षर करने से स्पष्ट इंकार कर दिया था जबकि वह विधायक के साथ साथ मेरे प्रिय मित्र भी थे जिससे राजनेताओं से भी मेरा विश्वास उठ गया
इसके अलावा एक क्षय पीड़ित वीर नारी पूर्व सेनिक की विधवा एवम 1971 के युद्ध के योद्धा को पेंशन दिलवाना वर्णननीय है
उक्त सबकुछ करने के बावजूद मेरा दुर्भाग्य यह रहा कि माननीय जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायधीशों ने मेरी व्यथा नहीं सुनी सम्भवता मेरे अधिवक्ता बिक चुके थे या वह मूढ़ अज्ञानी थे जिनके कारण मैं न्याय से वंचित रहा उसी न्याय की अभिलाषा में पिछले ढाई दशकों से अधिक समय से दर दर भटक रहा हूँ
मेरा दृड़ विश्वास है कि मेरी कलम एक न एक दिन मुझे सम्पूर्ण न्याय अवश्य दिलवाएंगी जो निम्न हैं
1 वेयर इज कांसिच्यूशन ला एण्ड जस्टिस अंग्रेजी
2 कड़वे सच
3 मुझे न्याय दो
4 फिट्’टे मूंह तुंदा
5 मेरियां इक्की गज़लां
6 मैं अद्वितीय हूँ 7 व्यथा मेरी लिखकर छापने के बाद अब 8वीं पुस्तक राष्ट्र के नाम संदेश ग़ज़ल संग्रह छापने जा रहा हूँ आशा है मूल्यांकन के लिए अति शीघ्र आप सब के हाथों में होगी
विडम्बना यह भी है कि जम्मू के राजकीय चिकित्सालय से लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स नई दिल्ली के मेडीकल बोर्ड के चिकित्सकों द्वारा जारी मानसिक स्वस्थ के प्रमाणपत्रों के बावजूद भारत सरकार के ग्रह मंत्रालय के अधीन एसएसबी विभाग आज भी मुझे मेरी नौकरी के स्थान पर मानसिक दिव्यांगता पेंशन अर्थात पागल की पेंशन’ दे रहा है जो संविधान की धारा 21 39ए मेंटल हेल्थ एक्ट 1987 एवम दिव्यांगजन अधिनियम 1995 वर्तमान 2016 का खुल्लमखुल्ला अपमान है यही नहीं यह मोदी मंत्रीमंडल द्वारा संशोधित एवम सशक्त किये दिव्यांगजन अधिनियम 2016 का अपमान ही नहीं बल्कि मोदी मंत्रीमंडल की अवमानना के साथ-साथ घिनौना अपराध भी है
आशा एवम विश्वास है कि देश की अखंडता पर कलंकित प्रश्नचिन्ह धारा 370 व 35ए को निडरता से समाप्त करने वाले देश के 135 करोड़ देशभक्तों के दिल की धड़कन वाले साहसी आदरणीय माननीय सम्माननीय ग्रहमंत्री अमित शाह जी मेरे ऊपर हुई क्रूरता के संदर्भ पर अवश्य संज्ञान लेंगे और मुझे संविधानिक न्याय देंगे आशा का बिंदु इसलिए भी जाग्रत हुआ है कि वह संसद में 05 अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर के वासियों को गले लगाने उनके घाव भरने एवम उनकी पीड़ा हरने का संकल्प बारबार दोहरा रहे हैं
ऊपरोक्त संविधानिक अपमान एवम मेरा बेड़ागर्क कांग्रेस सरकार के कुशासन से आरम्भ हुआ था किंतु भाजपा की अटल सरकार के सुशासन ने भी मेरी नईया पार नहीं की थी अर्थात मुझे न्याय नहीं दिया था जबकि माननीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनके नाम से उनके कार्यालय में मैंने नौकरी पर उपस्थित होते हुए विभागीय निर्धारित प्रणाली एवम पंजिकृत डाक द्वारा 50 पन्नों की लिखित अग्रिम प्रार्थनापत्र भेजकर अवगत भी करवाया था मगर उन्होंने मुझे न्याय तो क्या मेरी प्रार्थनापत्र का उत्तर भी नहीं दिया था
जिसके उपरांत विभाग ने मुझे 504 दिन नो वर्क नो पे अर्थात काम नहीं तो वेतन नहीं’ के नियम पर क्षय रोग एवम मानसिक तनाव में बिना वेतन व पेंशन के नौकरी से निकाल दिया था जबकि देश का साधारण से साधारण मानव भी जानता है कि बिमार कर्मचारी पर नो वर्क नो पे नियम लागु ही नहीं होता और क्षय तपेदिक टीबी रोगी व मानसिक उत्पीड़ित कर्मचारी के पक्ष में संविधान की धारा 21 39ए मेंटल हेल्थ एक्ट 1987 एवम दिव्यांगजन अधिनियम 1995 नौकरी से निकालने की अनुमति नहीं देता इसीलिए मोदी सरकार ने दिव्यांगजन अधिनियम 1995 को संशोधित कर अधिक सशक्त करते हुए दिव्यांगजन अधिनियम 2016 बना दिया जो वर्तमान एवम भविष्य में मानवता बिमार कर्मचारियों के लिए मील का पत्थर प्रमाणित होगा
इसी कारण मुझे नौकरी पर उपस्थित होते हुए देशद्रोह की विभागीय जांच के चलते वेतन ना देना और अस्थाई होने के कारण डाक्टरों द्वारा स्थाई मानसिक दिव्यांगता के झूठे प्रमाण-पत्रों भ्रष्ट डाक्टरों के उक्त प्रमाणपत्र भी सामाजिक न्याय मंत्रालय की दिव्यांजन न्यायालय में झूठे प्रमाणित कर चुका हूँ का हवाला देकर नौकरी से निकाल देना क्रूरतम से क्रूरतम अपराध है
जिसे सिद्ध करने के लिए उन संघर्षशील क्षणों में मेरी आर्थिक दुर्बलता पर पंजाब केसरी के मुख्य सम्पादक सम्माननीय श्री विजय चौपड़ा जी एवम उनके बेटे सह सम्पादक माननीय श्री अविनाश चौपड़ा जी का मुझे भरपूर आशीर्वाद प्राप्त हुआ। जिन्होंने मेरी प्रार्थनापत्र को सत्यता के आधार पर स्वीकार करते हुए मुझे ज्यौड़ियां का अवेतनिक पत्रकार नियुक्त किया और समाचारपत्रों की एजेंसी देकर अद्वितीय भूमिका निभाई जिससे मेरे संघर्ष को अवर्नणीय बल मिला
उसी बल से मैंने क्षेत्रीय संवाद लिखकर प्रसिद्धी पाई और ढेड दशक तक समाचारपत्र बेचकर पेट की आग बुझाते हुए स्वयं जीवित रहा और परिवार के जीवन का भी यथासंभव निर्वाह किया
भ्रष्टाचार के इससे बड़े प्रमाण क्या हो सकते हैं कि प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षुओं से अनुशासन व परीक्षा में उत्तीर्ण इत्यादि के नाम पर धन की मांग करें अधिकारी अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने अधीनस्थ कर्मचारी को घूस लेने के लिए विवश करें उच्च अधिकारियों की आवभक्त के लिए धन लेकर कहीं एडजस्ट करने का मौखिक आदेश करें अशक्त बेबस रोगी कर्मचारियों के स्थानांतरण करने अथवा रोकने के लिए धन की मांग करें गंदे कच्छ धुलवाएं और नीचता की सारी सीमांए पार करते हुए अपनी हवसपूर्ति हेतु अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई करने के नाम पर उनकी बीवीयों की मांग करना क्या घोर अन्याय नहीं है क्या इसे भारतीय संस्कृति कहा जा सकता है क्या वीर वीरांगनाओं ने इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए बलिदान दिए थे क्या शहीदों की आत्माएं ऐसे दुस्साहसी व कुकर्मी अधिकारियों को संविधान द्वारा दी गई शक्तियों का दुरुपयोग करने वालों को क्षमा करेंगी
सर्वविदित है कि 02 वर्ष के उपरांत अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई करना उच्च अधिकारियों का मौलिक कर्तव्य होता है उदाहरणार्थ एसएसबी विभाग में मेरी नियुक्ति दिनांक 05 12 1990 में हुई थी जिस पर प्रश्न स्वाभाविक है कि बिना किसी कारण मुझे 20 08 2000 तक अस्थाई क्यों रखा? क्या यह विभागीय भ्रष्ट क्रूर अधिकारियों द्वारा मुझे प्रताड़ित करने की पुश्टी नहीं है क्या यह उनके भ्रष्टाचार का प्रमाण नहीं है इसी आधार पर मुझे नौकरी से निरस्त करना क्या अन्याय नहीं है
इन्हीं पीड़ादायक समस्याओं को अपने विभाग एसएसबी के वर्तमान महा निदेशक के समक्ष रखने के लिए साक्ष्यकार का समय व तिथि मांग रहा हूँ किंत वह ना तो मुझे साक्ष्यकार का समय दे रहे हैं और ना ही मन की बात सुन रहे हैं क्या यही स्वराज है जिसके लिए अंग्रेज शासकों प्रशासकों को खदेड़ने के लिए असंख्य देशभक्त बलिदानियों ने अपने रक्तरंजित प्राणों की आहूती दी थी
न्याय में विलम्ब एवम अधूरे न्याय की घोर निराशा से अब मेरा घरपरिवार टूट कर बिखर चुका है परिवारिक एवम सामाजिक तिरस्कार का भरपूर आनंद उठाते हुए वंदे मातृम एवम भारत माता की जय की सिंह गर्जना करते हुए शपथ तिरंगे की राष्ट्रभक्ति में लीन सम्पूर्ण न्याय’ प्राप्त करके ही रहुँगा प्रबल आशा यह भी है कि राष्ट्रभक्त लोकप्रिय एवम सशक्त मोदी सरकार तथ्यों के आधार पर शीघ्र अतिशीघ्र मुझे सम्पूर्ण न्याय देकर अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय देगी क्योंकि मोदी हैं तो मुमकिन है जय हिंद
#इंदु भूषण बाली
जम्मू कश्मीर