
करा दो मुलाकात
बड़ी उम्मीद से आया हूँ।
मिला नही अभी तक
मुझे किसी से प्यार।
तभी तो तेरे शहर में
प्यार के लिए आया हूँ।
अब मिले या न मिले
पर तेरे शहर में आया हूँ।।
मिलेगा मुझे यहां मुकाम
दिल मे उम्मीद जगी है।
तभी तो इस वीरान को,
आबाद करने आया हूँ।
अब दे दो मुझे दुआ या
दे दो हमे अपना प्यार।
कसम से तेरी उदासी,
मिटाने में आया हूँ।।
सुनना है तेरे शहर का नाम,
इसलिए बसने आया हूँ।
छोड़कर गमो के साये को,
प्यार को पाने को आया हूँ।
कसम है मोहब्बत करने वालो की,
जिन्होंने शहर को मसूर किया था।
उसी इतिहास को दौहराने आया हूँ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।