ग्रामीण पत्रकारिता के स्तंभ का ढह जाने जैसा है डॉ एन आर गोयल का निधन

0 0
Read Time5 Minute, 16 Second


जिस समय ग्रामीण पत्रकारिता का कहीं नामोनिशान नहीं था, उस समय सहकारिता
विभाग की नौकरी छोड़कर डॉ एन आर गोयल ने ग्रामीण पत्रकारिता का चुनौती
भरा मार्ग अपनाया और ‘ग्रामीण जनता ‘समाचार पत्र के माध्यम से उत्तर
प्रदेश व उत्तराखंड में गरीबों ,किसानों , मजदूरों और शोषितों की आवाज
बनने का काम किया। वह ऐसा समय था, जब गांव तक पहुंचना एक पत्रकार के लिए
आसान नहीं होता था । ग्रामीण क्षेत्र की खबरों को खोजकर लाने के लिए बड़ी
बड़ी चुनौतियां और संघर्ष करने पड़ते थे । गांव की राजनीतिक पार्टी बाजी
, विकास के नाम पर भ्रष्टाचार और संसाधनों की कमी के कारण ग्रामीण
पत्रकारिता शहरी पत्रकारिता से कहीं अधिक कठिन रही है लेकिन इस चुनौती को
डॉक्टर गोयल ने खुले रूप में स्वीकार किया और सन 1973 के दौर में ग्रामीण
जनता साप्ताहिक समाचार पत्र का रुड़की से प्रकाशन करके उसको तत्कालीन
उत्तर प्रदेश के 22 जनपदों चक प्रसारित किया आज वही पत्र उत्तराखंड में
भी अपना खास स्थान रखता है। ग्रामीण जनता की शासन प्रशासन और राजनीतिक
गलियारों में कभी तूती बोलती थी। मुझे इस समाचार पत्र में डॉ एन आर गोयल
के सानिध्य में लंबे समय तक काम करने का अवसर मिला।मैंने देखा है,
ग्रामीण जनता समाचार कार्यालय पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री
हेमवती नंदन बहुगुणा से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव , बड़े-बड़े
दिग्गज पत्रकार , मंत्री ,सांसद,विधायक और बड़ी-बड़ी हस्तियां दस्तक देती
रही ।डॉक्टर गोयल ने अपने पत्रकारिता के जीवन में कभी मूल्यों से समझौता
नहीं किया मिशनरी पत्रकारिता उनका धैय रही। मैंने पत्रकारिता के क्षेत्र
में उनकी उंगली पकड़कर चलना सीखा है । सच पूछिए तो कई बार ऐसे अवसर आए जब
उन पर सच छपी खबरों को खंडित करने के लिए बड़े-बड़े दबाव आए ,उन्हें
प्रलोभन भी मिले लेकिन उन्होंने कभी ग्रामीण जनता समाचार पत्र में ऐसी
खबरों का खंडन नहीं किया और बड़े से बड़े लोगों प्रलोभन को ठुकरा दिया
था।बतौर ग्रामीण जनता के समाचार संपादक वे मुझे मानदेय भी देते थे लेकिन
उतना जिससे मेरा खर्च पूरा हो जाये, यही कारण है कि उन्होंने हमेशा मुझे
बगैर धनराशि भरे ही चैक दिया और बोलते थे,बेटे तुम्हे जितने पैसों की
जरूरत हो भर लेना।एक बार एक जिलाधिकारी ने उन्हें एक कार खरीद कर देने की
ऑफर दी थी,गोयल साहब बोले,कार तो आप दे देंगे लेकिन तेल कौन दिलवाएगा।इस
पर जिलाधिकारी ने तेल की व्यवस्था करने की भी हामी भरी परन्तु गोयल साहब
बोले डीएम साहब आप रहने दो,मैं अपने स्कूटर पर ही ठीक हूं।डॉ एन आर गोयल
की आध्यात्मिक सोच बहुत ऊंची थी,उनके शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, महंतो,
सन्तो,महात्माओ से निकट सम्बंध रहे।स्मामी कल्याण देव तो उनके खासे मुरीद
थे,स्वामी सत्यमित्रानंद, पथिक जी महाराज का सानिध्य उन्हें और पूरे
परिवार को मिलता रहा है।उनके घर लम्बे समय तक रामायण का पाठ होता
रहा,धर्मालयो में जाना और उनकी गतिविधियों की खबर देना उन्हें अच्छा लगता
था।उनके जीवन मे उनके कई एक्सीडेंट हुए,कई बार गम्भीर रूप से बीमार पड़े
लेकिन हर मुसीबत को उन्होंने सहजता, धैर्य ओर कर्मठता से किया।वे तीखा भी
बहुत लिखते थे,लेकिन दिल से बहुत विन्रम,संवेदनशील, रहमदिल इंसान रहे।86
वर्ष की आयु होने पर भी पत्रकारिता में सक्रिय बने रहना कोई उनसे सीख
सकता था।उनके जाने से जहां मैंने अपना अभिभावक खो दिया है वही यह ग्रामीण
पत्रकारिता के एक बड़े स्तंभ के ढह जाने जैसा भी है जिसकी पूर्ति नही की
जा सकती।उन्हें मेरा शत शत नमन।
# डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आ जाओ कृष्ण कन्हाई

Sat Aug 24 , 2019
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई फिर धरती पर आ जाओ तुम्हे बुलाती ब्रज की नारी अब धरती पर आ जाओ। हुई है बोझल पृथ्वी सारी सहते सहते अत्याचार। बढ़ रही है पाप की दुनियां नित होता कन्याओं से व्यभिचार। आ जाओ अब कृष्णा मेरे ले चक्र सुदर्शन हाथों में। दण्डित […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।