दिल के भेद खोलती,
गहरे राज छिपाती,
दर्द बयां करती,
अपनों की पहचान कराती,
हर कोई नहीं समझ पाता,
इन आंखों की भाषा,
छिपी है इनमें प्यार, मुस्कान,वफ़ा की परिभाषा।
रोक रखती है न जाने कितने जज़्बात,
देती हर पल अहसासो की सौगात,
सुख दुःख की साथी,
हर किसी को पढ़ाती जीवन की पोथी।
कभी उमड़ती लेकर अश्कों का पैगाम,
कभी बहती लेकर खुशियों का सरगम,
कभी संयोग में कभी वियोग में,
कभी दर्द, कभी राहत में,
हर पल यूंही साथ देती आंखें।
कभी ख़ामोशी में,शोर मचाती ,
कभी बेबाक बोल कर ख़ामोशी जताती,
हर घड़ी अपने अहसासो का अहसास कराती आंखें ।
रेखा पारंगी
पाली राजस्थान।
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