वो हरा दुपट्टा उसका, जिसपे फूलो की फुलकारी थी,,
जिसके इश्क़ में पागल थे , वो लड़की बड़ी सुहानी थी,,
उसके हुस्न के चर्चों से गलीयों में शोर शराबा था,,
उसकी चाहत पाने को हर आशिक़ का इरादा था,,
जिसके यौवन के कायल सब, वो राणा की दिवानी थी,,
जिसके इश्क़ में पागल थे, वो लड़की बड़ी सुहानी थी,,
उसका बातें करते करते आंख मिलाना याद हमें,,
नटखट बातें सुनते सुनते होठों का दबाना याद हमें,,
झूठा गुस्सा दिखलाकर फिर भी मिलने आनी थी,,
जिसके इश्क़ में पागल थे, वो लड़की बड़ी सुहानी थी,,
उसके हाथों के कंगन की खनक़ बड़ी प्यारी होती थी,,
उसके माथे पर सजती, वो बिदिंया न्यारी होती थी,,
उसकी आंख शराबी से, कुछ बूंदे हमें चुरानी थी,,
जिसके इश्क़ में पागल थे, वो लड़की बड़ी सुहानी थी,,
वो हरा दुपट्टा उसका, जिसपे फूलों की फुलकारी थी,,
जिसके इश्क़ में पागल थे, वो लड़की बड़ी सुहानी थी,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार(उत्तराखंड)