शत जन्मदिवस मंगलमय हो

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avdhesh
तेरे पग- तल में फूल बिछे, रसना पर शारद मुस्काएँ।
प्रियजन तुझको पाकर अक्सर, दुनिया के सम्मुख इठलाएँ।।
हाथों  में  तेरे  कीर्तिकला, उर में मनमोहक किसलय हो।
अवधेश कृपा आशीष तले, शत जन्मदिवस मंगलमय हो।।
दो फूल तुम्हारे आँचल में, तेरा जीवन गुलजार करें।
माता लक्ष्मी नित आ करके, धन वैभव से घरबार भरें।।
सादा जीवन ऊँचा विचार, ममता से पूरित हिरदय हो।
अवधेश कृपा आशीष तले, शत जन्मदिवस मंगलमय हो।।
नवनीत नीति चंदा- सूरज, गृहलक्ष्मी, भाग्य विधाता हो।
जिस राह चलो गन्तव्य स्वयं, कदमों में शीश झुकाता हो।।
तुम कालजयी जयघोष बनो,हर ओर तुम्हारी जय-जय हो।
अवधेश कृपा आशीष तले, शत जन्म दिवस मंगलमय हो।।
परिचय
नाम : अवधेश कुमार विक्रम शाह
साहित्यिक नाम : ‘अवध’
पिता का नाम : स्व० शिवकुमार सिंह
माता का नाम : श्रीमती अतरवासी देवी
स्थाई पता :  चन्दौली, उत्तर प्रदेश
 
जन्मतिथि : पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तर
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र), बी. एड., बी. टेक (सिविल), पत्रकारिता व इलेक्ट्रीकल डिप्लोमा
व्यवसाय : सिविल इंजीनियर, मेघालय में
प्रसारण – ऑल इंडिया रेडियो द्वारा काव्य पाठ व परिचर्चा
दूरदर्शन गुवाहाटी द्वारा काव्यपाठ
अध्यक्ष (वाट्सएप्प ग्रुप): नूतन साहित्य कुंज, अवध – मगध साहित्य
प्रभारी : नारायणी साहि० अकादमी, मेघालय
सदस्य : पूर्वासा हिन्दी अकादमी
संपादन : साहित्य धरोहर, पर्यावरण, सावन के झूले, कुंज निनाद आदि
समीक्षा – दो दर्जन से अधिक पुस्तकें
भूमिका लेखन – तकरीबन एक दर्जन पुस्तकों की
साक्षात्कार – श्रीमती वाणी बरठाकुर विभा, श्रीमती पिंकी पारुथी, श्रीमती आभा दुबे एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वारा
शोध परक लेख : पूर्वोत्तर में हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता
भारत की स्वाधीनता भ्रमजाल ही तो है
प्रकाशित साझा संग्रह : लुढ़कती लेखनी, कवियों की मधुशाला, नूर ए ग़ज़ल, सखी साहित्य, कुंज निनाद आदि
प्रकाशनाधीन साझा संग्रह : आधा दर्जन
सम्मान : विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा प्राप्त
प्रकाशन : विविध पत्र – पत्रिकाओं में अनवरत जारी
सृजन विधा : गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधायें
उद्देश्य : रामराज्य की स्थापना हेतु जन जागरण 
हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जन मानस में अनुराग व सम्मान जगाना
पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत में हिन्दी को सम्पर्क भाषा से जन भाषा बनाना
 
तमस रात्रि को भेदकर, उगता है आदित्य |
सहित भाव जो भर सके, वही सत्य साहित्य ||

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