पैसे ने भूला दिये रिश्ते

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sanjay
पैसे की सोच ने इंसान को क्या बना दिया।
इंसानी सोच को एक दम भूला दिया।
पैसा उसका माई बाप हो गया।
और खुद के माई बाप पराये हो गये।।
सच तो ये है की रिश्तों का  दमन हो रहा।
चारो तरफ पैसे का जय जय कार हो रहा।
 जो भी इस चकाचौन्ध की तरफ भाग रहा।
उसका घर संसार अशांत हो रहा।।
कब जीवन के रिश्तों को हम समझेंगे।
चंचल लक्ष्मी को छोड़ अपनो को समझेंगे।
और अपनो से रिश्ता जोड़ेंगे।
क्योकि बुरे वक्त में ये ही काम आएंगे।
और साथ इनको ही खड़ा तुम पाओगे।।

#संजय जैन 

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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