विपरीत समय, डगमगाता उद्देश्य

0 0
Read Time2 Minute, 32 Second

anudeep dwivwdi
टूट जाए जब कोई सपना तो
मजबुर मत होना,
दोष ना देना कभी ईश्वर का उनसे दूर मत होना,
राह चलती गाड़ी कभी भी अपना आपा खो सकती है,
मुश्किल तो मुश्किल है ये कभी भी हो सकती है,
जब मुझे तोड़ा सपनों के इरादो ने,
मै डूबा था अपनों के वादे में,
मै टूटकर गिर गया,
दिल कुछ और कहता हुआ दिमाग भी फिर गया,
जब टूटा तो बीच सागर में पड़ा था,
जब हाथ छूटा तो बीच गहराई में खड़ा था,
रोते रोते शाम हो गई कोई अपना ना आया,
रोज आते थे सपने उस दिन कोई सपना ना आया,
याद किया मैंने ईश्वर को तो पानी का बहाव रुक गया,
समुंदर डूबा खुद में और मेरे आगे झूक गया,
मैंने सोचकर बोला ये समुंदर अपने आप में गीला है,
उस दिन समझ आया ये सब प्रभु की लीला है,
मैंने अपना मुकाम खोया तो सब कुछ छूट गया,
जो बनाया ता सपना वो भी टूट गया,
मुझे ये तक नहीं मालूम था कि मै पाउगा क्या,
जब नौकरी नहीं होगी तो खाउगा क्या,
तब आत्मा बोली ये सब भ्रम तुम अभी तोड़ दो,
जब ना मालूम हो तुम्हे अपना लक्ष्य तो प्रभु पर छोड़ दो,
वो तो चाहता ही है कि तुम दिल से उसका हाथ थाम लो,
दिल में बसा लो उसकी तस्वीर और उसका नाम लो,
वो ईश्वर पिता बनकर तुम्हे भूखे नहीं सोने देगा,
तुम जब न्योछावर कर दोगे अपना कर्म तो कुछ गलत नहीं होने देगा,
जब पा ना पाना अपना लक्ष्य तो सबकुछ उस पर छोड़ देना,
फिर करना भरोसा उसपर और सारा भ्रम तोड़ देना,
देखना एक दिन तुम वहीं पहुंचोगे जाना तुम जाना चाहते हो,
मिल जाएगा तुम्हे वहीं सब जो तुम पाना चाहते हो,
जब देते है दोष हम अपनी नाकामी का ईश्वर को तो मनुष्य को अपना होश नहीं होता,
तुमने जो बनाए है कर्म अपनी क्रियाओं से ये वो है इसमें ईश्वर का कोई दोष नहीं होता।।।।।।

#अनु दीप द्विवेदी ‘अनु दीप’
उन्नाव(उत्तर प्रदेश)

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्रेम के बेर

Wed Jun 26 , 2019
खाके मीठे बेर शबरी के      प्रेम तत्व अपनाया था। छोड़ दुर्योधन के पकवान साग विदुर का खाया था।। शबरी की भक्ति राम ने      सहज प्रेम स्वीकारा था, नवधा भक्ति शबरी के     रोम रोम समाया था।। प्रभु भाव के भूखे        भक्ति से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।