टूट जाए जब कोई सपना तो
मजबुर मत होना,
दोष ना देना कभी ईश्वर का उनसे दूर मत होना,
राह चलती गाड़ी कभी भी अपना आपा खो सकती है,
मुश्किल तो मुश्किल है ये कभी भी हो सकती है,
जब मुझे तोड़ा सपनों के इरादो ने,
मै डूबा था अपनों के वादे में,
मै टूटकर गिर गया,
दिल कुछ और कहता हुआ दिमाग भी फिर गया,
जब टूटा तो बीच सागर में पड़ा था,
जब हाथ छूटा तो बीच गहराई में खड़ा था,
रोते रोते शाम हो गई कोई अपना ना आया,
रोज आते थे सपने उस दिन कोई सपना ना आया,
याद किया मैंने ईश्वर को तो पानी का बहाव रुक गया,
समुंदर डूबा खुद में और मेरे आगे झूक गया,
मैंने सोचकर बोला ये समुंदर अपने आप में गीला है,
उस दिन समझ आया ये सब प्रभु की लीला है,
मैंने अपना मुकाम खोया तो सब कुछ छूट गया,
जो बनाया ता सपना वो भी टूट गया,
मुझे ये तक नहीं मालूम था कि मै पाउगा क्या,
जब नौकरी नहीं होगी तो खाउगा क्या,
तब आत्मा बोली ये सब भ्रम तुम अभी तोड़ दो,
जब ना मालूम हो तुम्हे अपना लक्ष्य तो प्रभु पर छोड़ दो,
वो तो चाहता ही है कि तुम दिल से उसका हाथ थाम लो,
दिल में बसा लो उसकी तस्वीर और उसका नाम लो,
वो ईश्वर पिता बनकर तुम्हे भूखे नहीं सोने देगा,
तुम जब न्योछावर कर दोगे अपना कर्म तो कुछ गलत नहीं होने देगा,
जब पा ना पाना अपना लक्ष्य तो सबकुछ उस पर छोड़ देना,
फिर करना भरोसा उसपर और सारा भ्रम तोड़ देना,
देखना एक दिन तुम वहीं पहुंचोगे जाना तुम जाना चाहते हो,
मिल जाएगा तुम्हे वहीं सब जो तुम पाना चाहते हो,
जब देते है दोष हम अपनी नाकामी का ईश्वर को तो मनुष्य को अपना होश नहीं होता,
तुमने जो बनाए है कर्म अपनी क्रियाओं से ये वो है इसमें ईश्वर का कोई दोष नहीं होता।।।।।।
#अनु दीप द्विवेदी ‘अनु दीप’
उन्नाव(उत्तर प्रदेश)