संजय अश्क ,पुलपुट्टा,बालाघाट
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मत रो मेरे दिल चूप हो जा
बहोत हो गई रात चल अब सो जा।
बहोत बुरा उसने तेरे साथ किया
दर्द नाम तेरी जिंदगी को दिया।
रचाकर मेंहदी किसी के नाम की
तेरा जिना उसने हराम की
उसके घर से उठी उसकी डोली
तेरे दर से उठा उलफत का जनाजा।
मत रो मेरे दिल………….
तेरा दर्द मै समझता हूॅ
क्या हूवा है तेरे साथ जानता हूॅ।
पर इसमे उसकी कोई खता नही
वो मजबूर थी बेवफा नही।
प्यार को मारा परिवार के खातिर
रोते हुये कह गई मुझे भुलजा
मत रो मेरे दिल………….
वो गई तो कोई ओर आयेगी
पतझड के बाद बहार आयेगी।
यूं ही सूना नही रहेगा दिल का घर
कल को यहाॅ भी खुशहाली आयेगी
अश्क समझा रहा देख मेरे ये यार
जो गुजर गया है उसे भुल जा।
मत रो मेरे ये दिल चूप हो जा।।