मातृ-भाषा, भारतीय भाषाओं के माध्यम व भाषा शिक्षण संबंधी बिंदु
सभी मातृ-भाषा व भारतीय भाषा प्रेमियों को सादर नमस्कार !
यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष एवं इसके वर्तमान सलाहकार मा. के. कस्तूरीरंगन जी की अध्यक्षता में गठित शिक्षाविदों व विद्वानों की समिति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2019 का प्रारुप प्रस्तुत कर दिया गया है।
समिति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारुप बनाने से पूर्व जब जनता के सुझाव आमंत्रित किए गए थे तब ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा इस संबंध में पहल करते हुए इस विषय पर कई अंकों में ई-संगोष्ठियों के माध्यम से भारतीय भाषा-प्रेमी विद्वानों के विचार आमंत्रित कर न केवल ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के माध्यम से इसके सोशल मीडिया समूहों से जुड़े विश्वभर के करीब 1500 सदस्यों तक पहुंचाए गए थे बल्कि अन्य सोशल मीडिया समूहों, वैब पोर्टल व पत्र-पत्रिकाओं आदि का माध्यम से जनता के बीच पहुंचाने के साथ-साथ प्रारूप समिति के अध्यक्ष मा. के. कस्तूरीरंगन जी को भी भेजे गए थे।
यह संतोष का विषय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2019 के प्रारुप में शिक्षा के माध्यम एवं भाषा–शिक्षण के संबंध में मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमियों के दृष्टिकोण को कुछ हद तक स्वीकार किया गया है।
मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमियों की सुविधा के लिए ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति –2019 के प्रारुप में से भाषा संबंधी संस्तुतियों को अलग करके नीचे संलग्न किया गया है। सभी मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमी विद्वानों से अनुरोध है कि आप इनका अध्ययन कर अपने विचार, टिप्पणी व सुझाव निम्नलिखित ई-मेल पर भेजें ताकि ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के मंच से इन्हें देश-विदेश के भाषा प्रेमियों व शासन-प्रशासन व सांसदों आदि तक पहुंचाया जा सके और इस संबंध में सार्थक राष्ट्रीय बहस हो सके।
डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’
निदेशक,‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’