राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2019 के प्रारुप में

0 0
Read Time3 Minute, 14 Second

480945_632627740085752_1809366885_n - Copy

मातृ-भाषा, भारतीय भाषाओं के माध्यम व भाषा शिक्षण संबंधी बिंदु
सभी मातृ-भाषा व भारतीय भाषा प्रेमियों को सादर नमस्कार !

यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष एवं इसके वर्तमान सलाहकार मा. के. कस्तूरीरंगन जी की अध्यक्षता में गठित शिक्षाविदों व विद्वानों की समिति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2019 का प्रारुप प्रस्तुत कर दिया गया है।

समिति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारुप बनाने से पूर्व जब जनता के सुझाव आमंत्रित किए गए थे तब ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा इस संबंध में पहल करते हुए इस विषय पर कई अंकों में ई-संगोष्ठियों के माध्यम से भारतीय भाषा-प्रेमी विद्वानों के विचार आमंत्रित कर न केवल ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के माध्यम से इसके सोशल मीडिया समूहों से जुड़े विश्वभर के करीब 1500 सदस्यों तक पहुंचाए गए थे बल्कि अन्य सोशल मीडिया समूहों, वैब पोर्टल व पत्र-पत्रिकाओं आदि का माध्यम से जनता के बीच पहुंचाने के साथ-साथ प्रारूप समिति के अध्यक्ष मा. के. कस्तूरीरंगन जी को भी भेजे गए थे।

यह संतोष का विषय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2019 के प्रारुप में शिक्षा के माध्यम एवं भाषा–शिक्षण के संबंध में मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमियों के दृष्टिकोण को कुछ हद तक स्वीकार किया गया है।

मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमियों की सुविधा के लिए ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति –2019 के प्रारुप में से भाषा संबंधी संस्तुतियों को अलग करके नीचे संलग्न किया गया है। सभी मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमी विद्वानों से अनुरोध है कि आप इनका अध्ययन कर अपने विचार, टिप्पणी व सुझाव निम्नलिखित ई-मेल पर भेजें ताकि ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के मंच से इन्हें देश-विदेश के भाषा प्रेमियों व शासन-प्रशासन व सांसदों आदि तक पहुंचाया जा सके और इस संबंध में सार्थक राष्ट्रीय बहस हो सके।

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’

निदेशक,‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

एक गज़ल

Sun Jun 2 , 2019
सितारों की आरजू में शरारे मिले| गौरों से मिलकर देखा हमारे मिले || कैसे यकीन कर ले इस दुनिया पर हम| दुश्मन ही दोस्तों से प्यारे मिले|| छत के नीचे देखो तो सब लगते है अपने| देखा तो हर आँगन में दीवारें मिले|| मरती नही कभी अपनी मौत ये जिंदगी| […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।