स्टूडेंट ऑफ द इयर -2 फार्मूला पुराना लेकिन स्वाद न दे पाया,,

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स्टूडेंट ऑफ द इयर -2
फार्मूला पुराना लेकिन स्वाद न दे पाया,,
समीक्षा इदरीस खत्री द्वारा,,
निर्देशक ;-
पुनीत मल्होत्रा,
अदाकार;-
टाइगर श्रॉफ, तारा सुतारिया, अनन्या पांडे, हेमांष कोहली, आदित्या, सना सईद, फ़रीदा जलाल, समीर सोनी
संगीत
विशाल शेखर, सलीम सुलेमान
लेखन
अरशद सैयद
दोस्तो क्योकि फ़िल्म का नाम की वापसी हुई है तो ज़िक्र पहली फ़िल्म का तो होगा ही
2012 में आई फ़िल्म स्टूडेंट में आलिया भट्ट, वरुण धवन, सिद्धार्थ मल्होत्रा थे,फ़िल्म हिट साबित हुई थी,  करण ने उसी फॉर्मूले को दोहराने की कोशिश की गई,,
कहानी
रोहन शर्मा (टाइगर) सेंट एलिसा कालेज में स्पोर्ट्स कोटे में एडमिशन लेता है,, और धीरे धीरे उसकी प्रसिध्दी बढ़ने लगती है जो कि कॉलेज के पोस्टर बॉय मानव(आदित्य सिंग) को खलने लगती है, और आदित्य रोहन को नीचा दिखाने की कोशिश में लग जाता है, इसमे उसका साथ देती है उसकी बहन श्रेया(अनन्या पांडे)  भी रोहन को नीचा दिखाने का कोई मौका नही छोड़ती, लेकिन एक पुरानी कहावत है कि नफ़रत मुहब्बत की पहली सीड़ी होती है और श्रेया रोहन की काबिलियत पर फिदा हो जाती है,, चुकी फ़िल्म में त्रिकोणीय प्रेम है तो अगली एंट्री मिया मृदला (तारा)की होती है त्रिकोणीय प्रेम के साथ
अब कालेज में शुरू होता है डांस, स्पोर्ट्स चेम्पियनशिप का फूल डोज
कौन बनता है कि कॉलेज का चेम्पियन, और रोहन किसका होता है, इन सवालों के जवाब के लिए फ़िल्म देखनी पड़ेगी,,
लेकिन कुछ नया नही देखने को नही मिला, एक्शन, डांस, स्पोर्ट्स का तड़का और त्रिकोणीय प्रेम कहानी के अलावा8
बजट ;-
फ़िल्म 70 करोड़ से ऊपर के बजट की है जो कि 120 करोड़ तक जाती नही लग रही है, इसके तीन मुख्य कारण है पहला IPL, दूसरा रमज़ान, तीसरा देश मे चुनाव यह तीन कारण निश्चित ही कलेक्शन पर प्रभाव छोड़ेंगे,, फिर भी फ़िल्म 7 से 11 करोड़ की ओपनिंग दे जाएगी लेकिन 100 करोड़ी होना थोड़ा मुश्किल होगा,,
अदाकारी पर बात करे तो टाइगर जिस तरह के डांस, एक्शन के लिए जाने जाते है, वह बखूबी निभाया है,  तारा को अभी लम्बी दूरी तय करना है, अदाकारी सीखना पड़ेगी, अनन्या  चंकी पांडे की बिटिया है और अभिनय की विधिवत शिक्षा लेकर आई है तो वह साफ झलकता है उसके अभिनय से,,  हर्ष बेनीवाल को आप याद रख आएगे,, आदित्य सिंह भी किरदार में छाप छोड़ते दिखे
आर डी बर्मन की कम्पोजिशन और आनन्द बक्शी लिखित गाना “”ये जवानी है दीवानी”” आज भी उतना ही जवान गाना है जितना 35 साल पहले था,,का रीमिक्स बढ़िया बन पड़ा है, फकीरा गाना भी कर्णप्रिय लगता है, विशाल शेखर ने संगीत पर बढ़िया काम किया है,,
कमज़ोर पक्ष;-
फ़िल्म में कॉलेज का जो माहौल दिखाने की कोशिश की गई वह हज़म नही होता, छोटे कपड़े कभी भी उन्नति के प्रतीक नही हो सकते हा वह पाष्चात्य सभ्यता के परिचायक ज़रूर है,
कालेज के माहौल अति आधुनिक दिखाने के चक्कर मे पुनीत पाश्चात्य फिल्मो को नकल कर गए जो कि भारतीय दर्शकों को पसन्द आएगा या नही ये बड़ा सवाल बनता है,, जो कि फ़िल्म को पारिवारिक श्रेणी से बाहर करता है जो कि फ़िल्म के कलेक्शन पर असर डालेगा,,
फ़िल्म को हमारी तरफ से
*** 3 स्टार्स/5

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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