कायर नहीं हूँ माँ मैं बदला लेने आऊंगा

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ashok sapada
श्रद्धाजंलि गढ़चिरौली में शहीद हुए सभी पोलिस के जवानों को नक्सलियों के हमलें में जो शहीद हुये ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ती प्रदान करें प्रस्तुत है मेरी यह कविता की 
कायर नहीं हूँ माँ मैं बदला लेने आऊँगा
अमर जवान हूँ मरता नहीं ये बतलाऊँगा
घात लगा मारा कायर ने कुटिल चाल से
पर तेरा बेटा हूँ वीर मैं यह दिखलाऊँगा
मरकर भी माँ कभी हम मरतें नहीं यहाँ
बस खो गया हूँ तेरी आवाज से आऊँगा
एक बार आवाज़ देना माता भारती मुझे
मरकर भी मैं माँ तेरे ली ही जी जाऊँगा
देखेगा फिर यह सारा जमाना भारत माँ
इन नक्सलियों को कदमों में झुकाऊंगा
मौत हयात से जंग लड़ी मैने ए भारत माँ
मुझ में था दम कि सीने पे गोली खाऊँगा
मरकर के रिश्ते खोए जिनके कारण मैने
मन की तपिश से रिश्ते उनके झुलसाऊँगा
कुतर रहें जो राष्ट्र को दीमक बनकर नेता
इन गद्दारो के सीने में फ़िर छुरा चलाऊँगा
कायर नहीं हूँ माँ मैं बदला लेने आऊँगा
#अशोक सपड़ा हमदर्द
 
परिचय-दिल्ली निवासी अशोक सपड़ा हमदर्द जो 30 जनवरी 1977 को जन्में व इग्नु से स्नातक तक पढ़े जिनकी कई पत्र पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित होते है| अब तक दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है|

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