प्यार दिखाकर गोरी तुमने  

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प्यार दिखाकर गोरी तुमने,
मन तरंग झकझोर दिया।
बिन डोर उड़ गई पतंग ,
गिरडा जाने! किस ओर गया।।
पीपल पर्ण फुर हुआ जाए,
आई समीर वेदवती ।
बैठ तटिनी सोच रहा, हुई
क्यूँ विचलित मेरी मति।।
जित देखूं तित छबी तुम्हारी,
नैन,चैन निर्मूल हुए ।
शुक-शुकीनी से आकर्षित,
भावभीनी सब फूल हुए।।
मन-मुग्ध “मीन “कहो दिल हुआ,
अब न गम सराबोर है.
ना दुष्ट,हीनता कोई,अब
अपनापन चहुँ ओर है।।
बस एक कर्म और कर मुझपर,
क्रम ये सातों जन्म चले ।
सात फेरों के बंधन मे बंध,
प्रीत हमारी फूले व फले,
 अस्तित्वहीन मूढ पात्र को,
अस्तित्व प्रेम-ज्ञान दिया।
संरचना,संश्लेषण सीखा,
आत्मीय सम्मान दिया..
     डॉ.मीना कुमारी सोलंकी  
निमलीवाली

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।