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ज़रा सी नज़रे-इनायत सनम इधर कर दो
चाहे मुझपे इक एहसान समझकर कर दो
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तमाम उम्र फिर अँधेरों में मैं जी लूँगा
मेरे नाम तुम बस अपनी एक सहर कर दो
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मिज़ाज़पुर्सी को वो आएं चाहे न आएं
मैं बीमार हूँ इतनी उन्हें खबर कर दो
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दबा के अपनी हथेली में मेरे कुछ आँसू
इन पानी की बूँदों को तुम गुहर कर दो
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तुम्हारे वास्ते लाया हूँ बहुत सी खुशियाँ
इनको ले के अपने गम मेरी नज़र कर दो
#भरत मल्होत्रा
परिचय :–
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
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Sat Apr 20 , 2019
परमात्मा तो सबका एक है अल्लाह कहो या राम फिर क्यो आपस मे झगड़ते मानवता धर्म सबसे महान खून का रंग भी सबका एक चाहे स्वेत का हो या फिर श्याम ज्योतिबिंदू हम कहे वही है सतनाम नूर ए इलाही वही है जो गॉड का नाम फिर धर्मों में बांटकर […]